Monday, 19 August 2024

सलुमण का मतलब

 सलुमण का मतलब आज 90साल से ऊपर एक बुजुर्ग ताई से पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि इसका मतलब है सावन का त्योहार जो रिश्तेदारियों में तीज पर सिंधारा,कोथली के बाद मनाया जाता था,बेटी बहन कभी भी शादी के तुरंत बाद आने वाले सामन में अपनी ससुराल न रुक कर अपने मायके रुका करती थी और अपनी पहचान बना सारा घर लीपा करती और एक तागा या ज्योत घर के आंगन,दहलीज,देहल,पशुओं के ठान या खेत में बने दो ईंटों के बीच बने दादा खेड़ा को पूजा करती और कहती हे मालिक आगे सुख राखिए,इस घर बार जहां मैने जन्म लिया उसकी मेर बनाए राखिए और बाबू,भाई घर के बड़े के एक तागा बांध दिया करती। कहीं कहीं आपस में इकट्ठी हो पिंग झूल लेती और देशी गीत गा लिया करती। चमासे में गुड तेल के गुलगुले,सुहाली खाने का अलग ही मजा था जो तीज वाले दिन या आगे पीछे बारिश आने में ज्यादा मात्रा में बना लिए जाते थे।कुल मिला कर सामन में सलूमण बहन भाई के संयुक्त परिवार के आनंद रंगचाह का दिन हुआ करता जो किसान परिवारों में हजारों वर्षों से इसके रीति रिवाज परंपराओं सभ्यता संस्कृति का प्रतीक रहता आया है,गांव में रक्षा बंधन आजादी के बाद ही आया है।भाई बहन का प्यार इसकी सबसे बड़ी खूबी है तो वहीं बहन बेटी के ससुराल के परिजनों द्वारा यह पूछा जाना कि बता थारे घर से रक्षा बंधन पर तुझे क्या क्या मिला?यह बुराई भी है जबकि एक बहन भाई से अपेक्षा तो रखती है मगर कभी भी लालच नहीं करती,भाई की आर्थिक स्थिति को वह सदा समझती है।अपने घर पर अपने मां बाप के जिंदा रहते पूरा अधिकार समझती है मगर मां बाप के चले जाने के बाद यह अधिकार भाभी की वजह से कम या ज्यादा हो जाता है।कुल मिला कर यह त्यौहार परिवारों को प्यार सहित जोड़े रखने का है इसका महत्व सावन माह से ही है,लेकिन आप सभी को पता है असल में नकल तो घुस ही पड़ी है।आप सभी भाई बहनों बड़े छोटों को यह त्यौहार मुबारक हो।


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