Monday 19 August 2024

हमें गर्व हैं कि हमने हमारी पहलवान बेटी के लिए आन्दोलन किया

हमें गर्व हैं कि हमने हमारी पहलवान बेटी के लिए आन्दोलन किया, जिसने ओलंपिक्स में एक ही दिन में संसार की तीन धुरंधर पहलवानों को धूल चटाई। भले ही वो किसी कारण मेडल नहीं जीत पाई, पर उसने हमारा दिल जीता।

इसीलिए हमने उसका एक विजेता की तरह विराट स्वागत कर, उसको अहसास दिलाया कि मेडल तो मात्र टोकनिज़्म हैं। पर यदि किसी को लगता हैं कि विनेश का इतना भव्य स्वागत करना एक अपराध हैं, तो उसको मानसिक इलाज की आवश्यकता हैं।
अब मैं आपको बताता हूं कि सकारात्मक और नकारात्मक "जातिवाद" में क्या अंतर हैं:
गुरमीत राम रहीम सिंह इंसां, डेरा सच्चा सौदा का प्रधान, श्री गंगानगर का जाट हैं, पर जब इस पर अपराधों—हत्या और ब्लातकार—में संलिप्त होने का आरोप लगा, तो किसी जाट ने इसका पक्ष नहीं लिया। उल्टे अन्य हिन्दुओं ने इसका पक्ष लिया, पर किसी जाट ने नहीं।
दूसरी ओर, वर्ष 2018 में जम्मू-कश्मीर राज्य के कठुआ में एक नन्हीं मुस्लिम लड़की का अपहरण, ब्लातकार और हत्या हुई, तो उन अपराधियों के पक्ष में जम्मू के राजपूतों और अन्य हिन्दुओं ने बड़े स्तर पर रैलियां निकाली।
इसी वर्ष में उत्तर प्रदेश के उन्नाव के कुलदीप सिंह सेंगर नामक एक एमएलए को एक नाबालिग लड़की का ब्लातकार करने के आरोप में जेल भेजा गया, तो उत्तर प्रदेश के राजपूतों ने कुलदीप सिंह सेंगर के पक्ष में रैलियां निकाली।
वर्ष 2020 में उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक दलित लड़की का ब्लातकार और हत्या हुई, तो राजपूतों ने आरोपियों के पक्ष में बड़े स्तर पर रैलियां आयोजित की, क्योंकि सारे आरोपी राजपूत जाति के थे।
इसके पश्चात् कुछ अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवानों ने कुश्ती संघ के प्रधान बृजभूषण शरण सिंह पर छेड़खानी का आरोप लगाया, तो लाखों राजपूतों ने बृजभूषण शरण सिंह के लिए आसमान ऊपर उठा दिया। हालांकि एक नाबालिग पहलवान तो स्वयं ही राजपूत थी, जिसने बृजभूषण पर छेड़खानी का आरोप लगाया।
यह ही अन्तर हैं जाटों के "जातिवाद" में और अन्य हिन्दुओं के "जातिवाद" में।

Shivatva Beniwal

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