Thursday, 8 August 2024

आपकी सामलात की जमीनों के कानून पहले ही बदल चुके हैं, गामों के लाल-डोरे तोड़ दिए हैं; आप तो नहीं चुस्के, परन्तु मुस्लिम समाज चुस्का व् बचा ली अपनी जमीनें; आप पड़े रहो फंडियों की जागरण-कथाओं की अफीम सूंघ के! देखो नीचे कैसे:

 *आपकी सामलात की जमीनों के कानून पहले ही बदल चुके हैं, गामों के लाल-डोरे तोड़ दिए हैं; आप तो नहीं चुस्के, परन्तु मुस्लिम समाज चुस्का व् बचा ली अपनी जमीनें; आप पड़े रहो फंडियों की जागरण-कथाओं की अफीम सूंघ के! देखो नीचे कैसे:*


★ "वक़्फ़ संशोधन बिल" लोकसभा में पास नहीं हुआ... इस बिल का पास नहीं होना Pm नरेंद्र और आरएसएस गैंग की शिकस्त है..एक और शिकस्त..

◆ माहौल कुछ बनाया गया था कि "वक़्फ़ बोर्ड" ने ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से ज़मीन पर क़ब्ज़ा कर लिया है..तो फिर राज्य सरकारों और केंद्र सरकार में "वक़्फ़ मिनिस्टर" क्यों रखा है? वक़्फ़ तो सरकारी है..

👉 एक सवाल : अगर एक हिंदू अपनी ज़मीन किसी को हिंदू धर्म के लिए दान करता है तो क्या सरकार उस ज़मीन में "मुस्लिम ट्रस्टी" रखने देगी? 

👉 क्या सिखों की "गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (SGPC), बुद्ध/जैन मंदिर, पारसी मंदिरों में दूसरे धर्म के ट्रस्टी हो सकते हैं? 

👉 तो फिर एक मुस्लिम की धर्म के लिए दान की गई ज़मीन में "2 हिंदू ट्रस्टी" क्यों रहेंगे? कुछ तो शर्म रखनी चाहिए..

★ और वक़्फ़ की 9.4 लाख एकड़ के 70% हिस्से में मसाजिद, क़ब्रिस्तान, स्कूल, कॉलेज, मदरसे, यूनिवर्सिटी, लाइब्रेरी, यतीमख़ाने हैं..और ये ऑलरेडी सरकारी क़ब्ज़े में ही हैं..करना क्या चाहते थे?

◆ एक और सवाल : ये "2 हिंदू ट्रस्टी" कौन होंगे? RSS या अडानी-अम्बानी के लोग नहीं होंगे इस की क्या गारंटी है? और अगर RSS या अडानी-अम्बानी के लोग ट्रस्टी बनाए गए तो वक़्फ़ या'नि भारत की ज़मीनों का क्या होगा ये समझना बहुत आसान है!! आज के दिन अयोध्या में सेना की 13000 हजार एकड़ जमीन अडानी-रामदेव व् रविशंकर ढोलकापड़िये को पूज दी है, इसी से समझ जाईए इनकी मंशा

👉 और जिन्हें लगता है कि ये क़ानून सिर्फ़ वक़्फ़ के लिए है वो लोग "मा'सूम मूर्ख" हैं..ऐसा ही क़ानून दूसरे मज़हबों पर भी लागू कर देंगे..यही इन का रिकॉर्ड है.. कल को इसी कानून के तहत, तमाम *जाट शिक्षण संस्थाओं व् अन्य जातियों की भी ऐसी ही तमाम संस्थाओं की जमीन से ले आर्यसमाजी गुरुकुलों व् गौशालाओं की जमीन* RSS या अडानी-अम्बानी को चढ़ा देंगे तो कहाँ जाओगे?

● पहले रोज़ से मोदी की नज़र ज़मीन पर है..ज़मीन क़ानून, किसान क़ानून के बा'द यह मोदी की ज़मीनों पर क़ब्ज़ा करने की तीसरी कोशिश थी..आगे भी कोशिश जारी रहेगी..

● अगर विपक्ष मज़बूत रहा होता तो किसान कृषि बिल जैसे देश को बरबाद करने वाले क़ानून पास नहीं होते और नाही इतनी नफ़रत फैलती.. परन्तु आज विपक्ष मजबूत है तो रोक दिया है इस कानून को!

✋ भारत की 'अवाम का शुक्रिया कि मोदी की साज़िश को देर होने के बावजूद समझा और विपक्ष को मज़बूत बना दिया..देश में नफ़रत फैलाने और ज़मीन लूटने की सब से बड़ी साज़िश नाकामयाब हो गई..जय हिंद..


जय यौधेय! - फूल मलिक

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