इस भाषण 👆का मतलब तो यही हुआ, कि जो राष्ट्रभक्ति का ठेका सिर्फ वचनों में उठाने वाले हैं; इनके कहे का उल्टा समझना चाहिए! कहाँ, इस आदमी का यह भाषण और कहाँ आज घर-आए-उए मेडल्स तक बचाने की बजाए; इन्हीं के शासन तले IOA की चीफ पीटी उषा यह कह के पल्ला झाड़ लेती है कि वजन बढ़ने-घटने की जिम्मेदारी खुद खिलाडी व् उसके कोच की होती है? और कोई उससे प्रतिउत्तर लेने वाला नहीं कि अगर ऐसा है तो फिर डाइटीशियन, फिसिओथिरेपिस्ट किसलिए भेजे जाते हैं, खिलाडियों के साथ?
खिलाडी का काम खेलना होता है व् कोच का काम उसको संबंधित खेल जैसे कि विनेश के मामले में कुश्ती; उसके दांव-पेंच सिखाने होते हैं| कोच का काम खिलाड़ी की डाइट में इतना तक ही हो सकता होगा कि वह अपने उस खेल बारे लाइफटाइम अनुभव से यह बता दे कि इसको यह खिलाओ, वह खिलाओ; परन्तु कितना व् कब खिलाओ; आखिर यह एक कोच की जिम्मेदारी कैसे हो सकती है? और हो सकती है तो फिर वही बात, यह डाइटीशियन व् फिसिओथिरेपिस्ट किसलिए भेजे जाते हैं साथ?
इन IOA वालों की रूल्स एंड रेगुलेशंस की बुक उठवा के एनालाइज की जाए, क्या-क्या क्लॉज हैं इनके व् क्या-क्या ड्यूटी हैं; ऐसे थोड़े ही कि झाड़ के पल्ला हुई एक तरफ खड़ी| वह भी राष्ट्रभक्ति का डंका पीटने वालों की सरकार में; यही राष्ट्रभक्ति है क्या कि देश का नाम बदनाम हो रहा है पेरिस जैसी इंटरनेशनल जगह पर व् यह लोग एक मिनट नहीं लगाते पल्ला-झाड़ने में?
जय यौधेय! - फूल मलिक
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