1 - कांग्रेस द्वारा इंडिया अलायन्स को सीटें देने की कंजूसी, 2-4 सीटों पर आप वाले भी उलझाए रखे जाते तो perception बनी रहती, सभी के साथ होने की
2 - कांग्रेस का पुराने घोड़ों पर हद से ज्यादा दांव, एक भी नहीं बदला
3 - बीजेपी का दलित में SC व् DSC का विभाजन
4 - रामरहीम फैक्टर
5 - दोनों तरफ बीजेपी व् कांग्रेस निर्दलीय बागी फैक्टर
6 - 13 फरवरी 2023 से हरयाणा-पंजाब बॉर्डर्स पर लगवाए किसान धरनों के जरिए बीजेपी यह संदेश देने में कामयाब रही कि इनको हमने ठिकाने लगा दिया है; जबकि मैंने बिना पूरे SKM के इस आंदोलन को सिर्फ 2-4 सगंठनों द्वारा चलाने पे ही यह बात कह दी थी कि यह बीजेपी प्रायोजित है, हरयाणा इलेक्शन को देखते हुए
7 - सेंट्रल कांग्रेस द्वारा सीएम चेहरा घोषित ना करना
8 - जाट, नॉन-जाट इतना ज्यादा नहीं था, क्योंकि यह विगत लोकसभा चुनाव में ही लगभग ध्वस्त हो चुका था
9 - काउंटिंग के दिन इलेक्शन मशीनरी का भरपूर दुरूपयोग; ऐसा पहली बार हुआ जब से हरयाणा बना है कि 12 बजे तक जहाँ सब सीटों के रिजल्ट आ जाते थे, वहां शाम होने तक भी रिजल्ट्स पूरे नहीं हुए हैं
10 - किसान संगठनों द्वारा कोई एक रणनीतिक समर्थन बना के ना चलना व् ना ही कांग्रेस द्वारा किसान संघटनों से सही तालमेल बिठाना; एक-आध को भी सेट कर देते 1-2 सीटों पर तो किसान वोट में इतनी अफरातफरी, कहीं अतिआत्मविश्वास तो कहीं पशोपेश ना बना होता; जो कि गलत संदेश दे के गया!
Jai Yauddhey! - Phool Malik
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