आज्या बैरी टेम काढले दोनूं हँस बतळावांगे
छह फुट का यो होया बाजरा मिलकै चिड़े उड़ावांगे।
भरा भादुआ दाणे ले रह्या साम्मक गोड्डे चढ़ग्या सै
काळी बादळी ला रह्यी झड़ तूं कित अंबर म्हं लुक रह्या सै
मक्का बध रह्यी खिल री बाड़ी बाळ ज्वार म्हं टूल्लैगी।
म्हारै खेत की डोळ पै आज्या दूब की दरी बिछाऊंगी
कांधे पै तेरै सिर धरकैं नै छिकमा लाड लडाऊंगी।
मोट्टी सिरटी भूंद खुआऊँ चटक पटक न सुणिए तूं
खिचड़ी कुट्टूं हारा लाऊँ . खदड़ खदड़ नै गुणिए तूं।
चिटणी गेल्लां शीत बखोरा रोट बाजरै के सेक्कूंगी
धोरै बैठ कैं जीम लिए बैरी कड़छी भर टिण्डी टेक्कूंगी।
बैरी , बाजरा और बुलावा
सुनीता करोथवाल
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