गुजरात के कड़वा पटेल और लेवा पटेलो से सम्बंधित Pratap Fauzdar जी की एक पोस्ट पढ़ी। फ़ौजदार जी की पोस्ट से मुझे राजकोट के विठलभाई जी हिरपरा जी की मुलाक़ात याद आ गई। विठलभाई हिरपरा जी लेवा पटेल हैं और गुजरात शिक्षा विभाग से बीओ या डीओ की पोस्ट से रिटायर हुए हैं।
2011-12 की बात है, मैं गुड़गाँव के सेक्टर 56 में केंद्रीय विहार हाउसिंग सॉसायटी के सामने की गली में रहता था। उन दिनों विठलभाई पटेल जी अपने बेटे Ketan Hirpara से मिलने गुड़गाँव आए हुए थे। केतनभाई केंद्रीय विहार में रहते थे। केंद्रीय विहार सॉसायटी के मुख्य गेट के सामने एक मिश्रा चाय वाला था। विठल जी उन मिश्रा चायवाले के पास चाय पीने गए और मिश्रा से पूछा कि सुना है हरयाणा में जाट बहुत हैं, मुझे किसी जाट से मिलवाओ। मिश्रा ने कहा, आप गुजरात के पटेल हैं, आपको जाट से मिलकर क्या करना है। विठल जी ने कहा, हम भी जाट ही हैं। इन दोनों की ये वार्तालाप चल ही रही थी कि वहाँ समर कादियान भाई चाय पीने पहुँच गया। मिश्रा ने दोनों की मुलाक़ात करवाई। समर भाई विठल जी को मेरे पास ले आए, बताया कि विठल जी गुजरात से हैं और कह रहें हैं कि ये भी जाट हैं, जाटों से मुलाक़ात की इच्छा है। तब विठल जी से लेवा पटेलों के गोत्रों, रीति-रिवाजों के बारे में विस्तार से बात हुई। लाहौर से आए थे तो नाम लेवा पड़ा। तब मुझे पहली बार पता चला था कि गुजरात में पटेल दो बड़े धड़े हैं, कड़वा पटेल और लेवा पटेल, कड़वा पटेल ख़ुद को गुर्जर शाखा का मानते हैं तो लेवा पटेल जाट। विठल जी के ससुर सांसद थे और वो चौधरी चरण सिंह और चौधरी देवी लाल के काफ़ी क़रीबी थे। विठल जी ने बताया कि जब चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बने तब चौधरी साहब ने कहा कि हम एक हैं, और इसी बात पर गुजरात के पटेल सांसदों ने श्री मोररजीभाई देसाई के साथ की बजाए चौधरी चरण सिंह का साथ दिया था। उसके बाद जब चौधरी देवी लाल केंद्र में गए तब चौधरी देवी लाल का साथ दिया।
फोटो 1990 की है। फोटो में विठलभाई पटेल जी के छोटे भाई Rameshbhai Bachubhai Hirpara चौधरी देवी लाल जी को फूलों की माला पहना रहें हैं।
ख़ैर, इतना पक्का है कि कड़वा पटेल और लेवा पटेल दोनों किसान क़ौमें हैं और इनका सम्बंध जाट व गुर्जरों से जरूर हैं। वक़्त के साथ धीरे धीरे अलग होते गए।
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