Monday, 25 November 2024

क्या कारण है कि बीजेपी लैंड-स्लाइडिंग विक्ट्री गुजरात-मध्यप्रदेश व् महाराष्ट्र में कर पाई; हरयाणा में नहीं?

क्योंकि इन तीनों जगह बीजेपी, आरएसएस व् फंडियों के जरिए लोगों का दिमाग व् वैचारिकता, इनमें सदियों से "वैचारिक वर्णशंकरता" फैला कर, इस हद तक दब्बू व् भीरु बनाई जा चुकी है कि बीजेपी को यह डर लगता ही नहीं कि गुजरात में पटेल, महाराष्ट्र में मराठा, एमपी-यूपी में यादव इतना बड़ा बवाल या आंदोलन खड़ा कर सकते हैं कि जितना हरयाणा-पंजाब-वेस्ट यूपी की किसान-मजदूर बिरादरी कर सकी हैं| हरयाणा-पंजाब-वेस्ट यूपी में उदारवादी जमींदारी सिस्टम होने के चलते (खाप व् किसान यूनियनों की विशाल व् असरकारक उपस्तिथि की वजह से), अभी तक फंडी यहाँ लोगों का उस हद तक का ब्रैनवॉश नहीं कर पाया है कि यह दब्बू व् भीरु वाली केटेगरी में काउंट होने लगें; व् बीजेपी यह जानती थी, इसीलिए हरयाणा में तीसरी बार सरकार के लिए सिर्फ जीत के मार्जिन को पार किया गया, क्योंकि लैंड-स्लाइडिंग गड़बड़ करने पर यहाँ के लोगों द्वारा विद्रोह का डर आज भी इनके अंदर है; परन्तु गुजरात-मध्यप्रदेश व् महाराष्ट्र लैंड-स्लाइडिंग जितनी बड़ी विक्ट्री करते वक्त घबराए नहीं क्योंकि वहां सामंती जमींदारी व् स्वर्ण-शूद्र के मनुवाद का हद से ज्यादा धरातल पर होना बड़ी वजहें हैं| 


कहने को लोग अक्सर सुने जाते हैं कि गुजरात में बीजेपी पटेल बनाम नॉन-पटेल करती है (परन्तु आज के दिन पटेल मुख्यमंत्री है तो वहां), मध्यप्रदेश-यूपी में यादव बनाम नॉन-यादव करती है (परन्तु एमपी में यादव मुख्यमंत्री है तो बीजेपी का व् यूपी उपचुनाव में देखो किधर है यादव बनाम नॉन-यादव, लोकसभा में भी सपा की 36 सीट योगी को मोदी काटना था इसलिए आ गई, वरना कहाँ है वहां यादव बनाम नॉन-यादव); व् महाराष्ट्र में मराठा बनाम नॉन-मराठा करती है (अभी देखो किसको सीएम बनाएँगे) और साथ जोड़ देते हैं कि ऐसे ही हरयाणा में जाट बनाम नॉन-जाट करती है| जबकि चारों ही जगह यह इस बनाम उसका इतना बड़ा सा मसला है ही नहीं| 


मसला है तो उदारवादी जमींदारी बनाम सामंती जमींदारी सिस्टम होने का; जिसको कि खापलैंड के लोगों को समझना होगा| इस लैंड स्लाइडिंग जीत व् मात्र मार्जिन छू कर रुक जाने के पीछे का मनोवैज्ञानिक कारण पकड़ना होगा| और वह है उदारवादी जमींदारी सिस्टम से जो स्वछंद मति का कल्चर आता है, वह| इस सिस्टम के भेद को और बारीकी से समझना है तो उदारवादी जमींदारी की खाप-खेड़ा-खेती फिलोसॉफी को जानिए, पढ़िए व् समझिए| 


चेतावनी: बीजेपी की तीसरी जीत, हरयाणा में अब उदारवादी तंत्र को खत्म करने पर काम करेगी; परन्तु अगर इसको यहाँ के लोग बचा गए तो अपनी स्वछंद मति बचा जाएंगे| व् यह खत्म हो इसके लिए बीजेपी ने यहाँ किसान-मजदूर जातियों के बीच अपना "वैचारिक वर्णशंकरता" का हथियार आजमाना चालू किया हुआ है, व् इसीलिए यहाँ कुछ संसदें व् धाम इसी पर कार्यरत हैं| इनसे अपने समाज व् पीढ़ियों को बचाओ; क्योंकि फंडी खुद नहीं उतरेगा आपके बीच व् आपके बीच से ऊठा के एजेंट्स उतारेगा व् "वैचारिक वर्णशंकरता" फैलाएगा और जिस दिन यह जितनी उनको चाहिए उस स्तर की फ़ैल गई; उस दिन मान लेना कि यह यहाँ भी "लैंड-स्लाइडिंग विक्ट्री" जितनी गड़बड़ करने से नहीं घबराएंगे ये| इसलिए खापलैंड व् पंजाब अभी भी इनसे सुरक्षित हैं बशर्ते इस "वैचारिक वर्णशंकरता" के फैलने को वक्त रहते थाम लिया जाए| 


जय यौधेय! - फूल मलिक

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