Friday 25 September 2015

माननीय कैप्टन अभिमन्यु जी कुछ सीखिये उन्हीं से जिनकी संगत में रहते हैं!


या तो सीएम को पाकिस्तानी मूल का कहने पर जो बयान आपने पूर्व कमांडेंट हवा सिंह सांगवान जी के ब्यान के जवाब में दिया था अब ऐसा ही बयान एस.जी.पी.सी. चीफ श्री अवतार सिंह मक्क्ड़ के सीएम को पाकिस्तानी कहने पे भी दीजिये वरना सीखिये जिनकी सोहबत में रहते हैं उनसे ही।

क्या जलाये सीएम की बिरादरी वालों में से किसी ने मक्क्ड़ साहब के पुतले, जैसे कल हवा सिंह सांगवान के जलाये थे इसी मुद्दे को ले के? क्या आया किसी सीएम साहब की बिरादरी वाले की तरफ से मक्क्ड़ साहब से माफ़ी मंगवाने या उनपे राजद्रोह का मुकदमा करवाने का बयान?

क्यों नहीं हुआ ऐसा? शायद अपनी कौम वाले के मामले में ऐसे मौकों पे चुप रहना क्या होता है और इसका क्या महत्व होता है यह लोग भली-भांति जानते हैं।

जबकि आप खुद जाट हो के अपने ही जाट भाई के ब्यान पे ब्यान देने में एक दिन की भी देरी नहीं किये, वो भी बावजूद इसके कि ब्यान उन्हीं की बिरादरी पे था जो जब उन्हीं की बिरादरी का कोई वही बयान दे तो चुसकते भी नहीं।

वो जो कहावत है ना कैप्टेन साहेब कि "जाटड़ा और काटड़ा अपने को ही मारे!" यह कोई उन मौकों के लिए नहीं होती कि जब कोई जाट दुसरे जाट को यदि तीर-तलवार या गोली से मार दे; वो इन्हीं मौकों और वाकयों की वजह से चलती है जैसा आपने किया।

छोटा मुंह और बड़ी बात परन्तु आशा करता हूँ कि जिस स्वछंद व् स्वतंत्र मति के हमारे बुजुर्ग और पुरखे बताये गए आप भी उसी परम्परा पे चलते हुए और जिनकी सोहबत में रहते हैं उनसे यह सीखते हुए कि ऐसे मौकों पर कैसे रियेक्ट करना चाहिए की सीख को लेकर आगे बढ़ेंगे!

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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