Saturday 10 October 2015

भगतों का सुतिया कट गया रे!

रै रळदू, न्यूं क्यूकर भाई, (आगे हिंदी में) यह "हिन्दू-ह्रदय सम्राट श्रीमान संगीत सोम" तो खुद ही "अल-दुआ" बीफ प्रोसेसिंग कंपनी जो कि बीफ से ले हर तरह के मांस का व्यापार करती है, उसके डायरेक्टर निकले|

और वो भी भगतों के गुरुओं द्वारा भगतों के लिए भगतों के दुश्मन नंबर वन कौम बताये गए मुस्लिम (जिनके साथ भाईचारा रखने पे भगतगण मेरे जैसे सेक्युलर को गलियाते रहते हैं) के साथ खोल रखी है, भगतो डूब के मरने को जी कर रहा हो तो आसपास कोई नहर, नहर नहीं तो जोहड़-कुँए तो जरूर मिल जायेंगे|

भगतो घर में ही गाय का भक्षक जयचंद पाले बैठे हो और वह तुम्हारा कितना अच्छे से सुतिया भी बनाता है| दादरी में हरसम्भव मदद का दावा करने भागा-भागा आता है और दूसरी तरफ "अल-दुआ" बूचड़खाना भी चलाता है| अंधभक्ति इंसान को मूढ़-हिंसक-अपराधी बना देती है पता था परन्तु सुतिया भी बनाती है यह अब पता चला|

अब उठाना ऊँगली तुम मेरे ऊपर मुस्लिमों को भाई कहने पर, तुम्हारे इन हिन्दू-हृदय सम्राट का नाम आगे अड़ाया करूँगा|

तमाम कृषि-समुदायों से यही कहना है कि शुद्ध कृषक बने रहो, ज्यादा हिन्दू बनने के चक्कर में उलझोगे तो श्री संगीत सिंह सोम राजपूत जैसे छद्म लोग आपका दिन-धोली सुतिया बनाते रहेंगे।

'हिन्दू' शब्द के नाम पर एक छद्मभेषी तबका कैसे अपने स्वार्थ साध इनके बहकावे में आने वालों का कैसे सिर्फ फद्दु ही नहीं अपितु सुतिया भी काटता रहा है उसकी जीती-जागती मिशाल हैं श्री संगीत सोम जी।

मतलब किसी आम आदमी का बूचड़खाना होता तो समझ भी आता, यह तो उस आदमी का निकला जो 2013 में मुज़फ्फरनगर से हिन्दू-हृदय सम्राट बना चल रहा था। और इसपे इनके अति-आत्मविश्वास की इंतहा तो देखो, एक तरफ जनाब खुद एक गाय काटने वाले बूचड़खाने के डायरेक्टर और दूसरी तरफ दादरी में गौ-मांस पर हुए दंगे में जा के गौ-भगतों को मदद आश्वस्त करके आते हैं।

शुक्र है कि मैं तो शुरू दिन से तभी से इनसे तटस्थ रहा और अब तो इनको कतई ना हेजूँ। ऐसी सुतिया बनाने वाली अंधभक्ति तुमको ही मुबारक भगतो और अंधभग्तो। हम तो भक्ति के बिना ही सिर्फ "अन्नदेवता" या "अन्नदेवता की औलाद" कहला के जी लेंगे।

जय योद्धेय! - फूल मलिक

 

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