घुन्नेपन की भी हद होती है बाबा, मोदी से बुद्ध का योगदान पूछने से पहले, खुद तो बताओ कि अगर आपके अनुसार बुद्ध का भारत में कोई योगदान ही नहीं है तो क्यों बुद्ध को आप जैसे ही विद्वानों ने हिन्दू धर्म के ग्रन्थ-पुराण-शास्त्रों में विष्णु का नौवां अवतार लिखा, बताया और गाया हुआ है?
और रही योगदान की बात तो मोदी से ना पूछो बल्कि राजा पुष्यमित्र सुंग, राजा शशांक, राजा चच और चच के पुत्र राजा दाहिर के कारनामे, खैर आपको यह तो कैसे कहूँ कि आपने पढ़े नहीं होंगे या आप जानते नहीं होंगे, फिर भी इतना जरूर कहूँगा कि एक बार उनको रिवाइज कर लीजिये| अपने आप पता लग जाएगा आपको कि बुद्ध का तो भारत में इतना ज्यादा योगदान बढ़ गया था कि इन चारों राजाओं को ईसा पूर्व पहली सदी से ले और ईसा बाद सातवीं तक भारत के तमाम बुद्धिष्टों को समाधि में लीन होते हुए भी आततायी राक्षसों की भांति काट-काट के फेंकना पड़ा था और हरयाणा जैसी धरती पर तो इतना कोहराम मचाया था कि तब की चली कहावतें "मार दिया मठ", "हो गया मठ", कर दिया मठ" आज तलक भी सामान्य जनमानस में चलती हैं| वो तो जब बुद्धों को लगा कि अब तो अंत आ चुका और यह रुकने वाले नहीं, तब जा कर खड़े हुए थे बचे हुए बुद्ध और तब इन राजाओं का सामना करके इन पर लगाम लगाई थी|
वैसे तो आपके पास पहले से ही अथाह साहित्य और इतिहास का भंडार रखा होगा, फिर भी उदाहरण के तौर पर डॉक्टर के.सी. यादव की पुस्तक "हरयाणा का इतिहास" पढ़ लीजियेगा| और इस पुस्तक में वो अद्ध्याय जरूर पढ़ना जिसमें मात्र 9000 जाटों ने मात्र 1500 जाट शहीद करते हुए इन आतताइयों की एक लाख सेना को काटा था और तब जाकर इनका राक्षसी नरसंहार थमा था|
खैर, यह सब आप भी जानते हैं कि मोदी के बहाने आप सोशल मीडिया पर तथाकथित राष्ट्रभक्तों में मोदी द्वारा लंदन में बुद्ध और गांधी का नाम लेने की फैली बेचैनी को शांत करना चाहते हो, वर्ना लंदन तो क्या मोदी ने तो जापान के पीएम का वेलकम भी अभी "वेलकम टू लैंड ऑफ़ बुद्धा" कह के ही किया है|
मतलब सबको अंधभक्त समझे हो क्या आप, कि सुविधानुसार बुद्ध को हिन्दू धर्म का नौवां अवतार भी कह लो, बता लो, ठहरा लो; और फिर खुद के ही ठहराए गए उन अवतार के योगदान पर प्रश्न भी खुद ही खड़े करने लग जाओ तो कोई पकड़ेगा नहीं?
मुझे कोई ताज्जुब नहीं कि क्यों मैं आप जैसे लोगों के समूह से लेशमात्र भी प्रभावित नहीं होता| कारण साफ़ है जब आप अपने खुद के ही ठहराए अवतार पर ही सवाल खड़े कर सकते हो तो मैं आपसे जुड़ा तो मुझे क्या दे पाओगे, भरोसा, विश्वास, शक्ति, सम्मान; नहीं जब आपने बुद्ध को ही नहीं बख्शा तो मेरी क्या हस्ती समझेंगे आप|
माफ़ करना बाबा, एक व्यक्ति के तौर पर आपका लाख सम्मान कर दूँ , परन्तु तर्क, स्थिरता और नैतिकता तो खो दी आपने आज ही; अपने ही भूतकाल के शंकराचार्यों द्वारा "हिन्दू धर्म के नौवे अवतार ठहराए गए" बुद्ध के योगदान पर सवाल खड़ा करके|
वाह, आप तो ओवर स्मार्टनेस की मर्यादा भी लांघ गए, पर पकडे गए बाबा| हो सके और अगर आप तक यह लेख पहुंचे तो मेरे सवाल का जवाब जरूर दीजियेगा|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
और रही योगदान की बात तो मोदी से ना पूछो बल्कि राजा पुष्यमित्र सुंग, राजा शशांक, राजा चच और चच के पुत्र राजा दाहिर के कारनामे, खैर आपको यह तो कैसे कहूँ कि आपने पढ़े नहीं होंगे या आप जानते नहीं होंगे, फिर भी इतना जरूर कहूँगा कि एक बार उनको रिवाइज कर लीजिये| अपने आप पता लग जाएगा आपको कि बुद्ध का तो भारत में इतना ज्यादा योगदान बढ़ गया था कि इन चारों राजाओं को ईसा पूर्व पहली सदी से ले और ईसा बाद सातवीं तक भारत के तमाम बुद्धिष्टों को समाधि में लीन होते हुए भी आततायी राक्षसों की भांति काट-काट के फेंकना पड़ा था और हरयाणा जैसी धरती पर तो इतना कोहराम मचाया था कि तब की चली कहावतें "मार दिया मठ", "हो गया मठ", कर दिया मठ" आज तलक भी सामान्य जनमानस में चलती हैं| वो तो जब बुद्धों को लगा कि अब तो अंत आ चुका और यह रुकने वाले नहीं, तब जा कर खड़े हुए थे बचे हुए बुद्ध और तब इन राजाओं का सामना करके इन पर लगाम लगाई थी|
वैसे तो आपके पास पहले से ही अथाह साहित्य और इतिहास का भंडार रखा होगा, फिर भी उदाहरण के तौर पर डॉक्टर के.सी. यादव की पुस्तक "हरयाणा का इतिहास" पढ़ लीजियेगा| और इस पुस्तक में वो अद्ध्याय जरूर पढ़ना जिसमें मात्र 9000 जाटों ने मात्र 1500 जाट शहीद करते हुए इन आतताइयों की एक लाख सेना को काटा था और तब जाकर इनका राक्षसी नरसंहार थमा था|
खैर, यह सब आप भी जानते हैं कि मोदी के बहाने आप सोशल मीडिया पर तथाकथित राष्ट्रभक्तों में मोदी द्वारा लंदन में बुद्ध और गांधी का नाम लेने की फैली बेचैनी को शांत करना चाहते हो, वर्ना लंदन तो क्या मोदी ने तो जापान के पीएम का वेलकम भी अभी "वेलकम टू लैंड ऑफ़ बुद्धा" कह के ही किया है|
मतलब सबको अंधभक्त समझे हो क्या आप, कि सुविधानुसार बुद्ध को हिन्दू धर्म का नौवां अवतार भी कह लो, बता लो, ठहरा लो; और फिर खुद के ही ठहराए गए उन अवतार के योगदान पर प्रश्न भी खुद ही खड़े करने लग जाओ तो कोई पकड़ेगा नहीं?
मुझे कोई ताज्जुब नहीं कि क्यों मैं आप जैसे लोगों के समूह से लेशमात्र भी प्रभावित नहीं होता| कारण साफ़ है जब आप अपने खुद के ही ठहराए अवतार पर ही सवाल खड़े कर सकते हो तो मैं आपसे जुड़ा तो मुझे क्या दे पाओगे, भरोसा, विश्वास, शक्ति, सम्मान; नहीं जब आपने बुद्ध को ही नहीं बख्शा तो मेरी क्या हस्ती समझेंगे आप|
माफ़ करना बाबा, एक व्यक्ति के तौर पर आपका लाख सम्मान कर दूँ , परन्तु तर्क, स्थिरता और नैतिकता तो खो दी आपने आज ही; अपने ही भूतकाल के शंकराचार्यों द्वारा "हिन्दू धर्म के नौवे अवतार ठहराए गए" बुद्ध के योगदान पर सवाल खड़ा करके|
वाह, आप तो ओवर स्मार्टनेस की मर्यादा भी लांघ गए, पर पकडे गए बाबा| हो सके और अगर आप तक यह लेख पहुंचे तो मेरे सवाल का जवाब जरूर दीजियेगा|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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