Thursday 17 March 2016

SYL को ले के पंजाब में जो हो रहा है, इसपे मुझे चौधरी बंसीलाल का मुहंतोड़ जवाब देने वाला अंदाज याद आ रहा है!


हुआ यूँ कि जब चौधरी बंसीलाल हरयाणा के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तो, पंजाब ने अम्बाला से चंडीगढ़ जीरकपुर के रास्ते, जो कि पंजाब से होकर गुजरता है उस पर से हरयाणा रोडवेज की बसों की आवाजाही पर पाबन्दी लगा दी।

चौधरी बंसीलाल ने इसका शालीनता भरा जवाब देते हुए पहले अम्बाला कैंट से वाया शहजादपुर-बरवाला-पंचकुला चंडीगढ़ तक हफ्ते भर के भीतर-भीतर सड़क बना, हरयाणा रोडवेज का चंडीगढ़ कनेक्शन बहाल किया और फिर पंजाब रोडवेज की तमाम बसों की पंजाब-दिल्ली वाया हरयाणा एंट्री बैन कर दी।

पंजाब सरकार ने दो-एक दिन तो जोश-जोश में चंडीगढ़ वाया पश्चिमी यूपी दिल्ली तक बसें चलाई, परन्तु इतना लम्बा-उबाऊ और थकाऊ रास्ता होने की वजह से पंजाब रोडवेज को सवारियां ही नहीं मिली। और ऐसे पंजाब सरकार से नहले-पे-दहले स्टाइल में उनको उनका निर्णय वापिस लेने को मजबूर किया।

काश! आज खट्टर-बीजेपी की जगह चौधरी बंसीलाल होते तो मौकापरस्त राजनीति के वाहक अरविन्द केजरीवाल को जन्म से एक हरयाणवी होने और हरयाणा की पानी की समस्याओं से बचपन से वाकिफ होने के बावजूद पंजाब में मात्र पोलिटिकल माइलेज लेने के चक्कर में SYL का समर्थन करने का मजा चखाते। जो पंजाब छोड़, कभी दिल्ली सचिवालय तो कभी केंद्र सरकार के दफ्तरों के आगे हरयाणा से दिल्ली के पानी दिलाने बारे धरने पे बैठा ना मिलता तो। बाकी SYL पे बीजेपी का जो स्टैंड है वो तो सबको दिख ही रहा है।

कभी-कभी सोचता हूँ हमारे बॉलीवुड वाले तो नहीं उतर आये सड़कों पे राजनीति करने; फुलटूस 24 इनटू 7 नॉन-स्टॉप शो। बंदर बना के नचा दिया इन लोगों ने देश का।

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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