Sunday 29 May 2016

एक चुप सौ को हरावे; जाट अपने खौफ के इफ़ेक्ट और इम्पैक्ट को समझें और चुप रहें व् सरकार को अपना काम करने दें!

सरकार क्रॉस-रोड पर है| जाट आरक्षण पर हाईकोर्ट में स्टे अपेक्षित था, इसमें कुछ भी अप्रत्याशित नहीं आया है| सरकार ने कानून बना के दिया है, सरकार ही डिफेंड करेगी| इसलिए इस वक्त जाट समाज को चुप रह कर, कानूनी प्रक्रिया के पूरा होने तक का इंतज़ार करना चाहिए|

वैसे भी जिस प्रकार से जाटों द्वारा दोबारा से आंदोलन की घोषणा कर देने मात्र से ही सरकार के हाथ-पांव फूल गए हैं, यह साबित करता है कि सरकार खुद जल्दी से इस स्टे का निबटारा करवाना चाहेगी| हरयाणा के आधे के लगभग जिलों में रातों-रात आनन-फानन में RAF, CRPF, आर्मी की टुकड़ियां बुलवा लेना, यहां तक कि मूनक नहर पर भी RAF तैनात कर देना, सरकार के भीतर जाटों का खौफ दिखाता है|

इसका तीसरा पहलु भी गौर फरमाएं कि आखिर क्यों राजकुमार सैनी वाले कारतूस के फुस्स होने के बाद अब बब्बूगोस्से की शक्ल और हांडे से पेट वाले गुलगुले-पिलपिले से सूअर की तरह उठी ठोडी वाले करनाल के एम.पी. अश्वनी चोपड़ा से बार-बार उकसाऊ ब्यान दिलवाए जा रहे हैं? इशारा साफ़ है संघ और भाजपा हरयाणा में फिर से दंगे चाहते हैं, हमारे प्रदेश की शांति को खा जाना चाहते हैं| और इस बार इनकी योजना को बिना कोई रिएक्शन दिए फेल किया जाए तो इनका मनोबल, आत्मविश्वास तो टूटेगा ही साथ ही यह हीन-भावना और साइकोलॉजिकल प्रेशर में भी आ जायेंगे| और हर प्रकार की मार से यह मार कहीं ज्यादा बड़ी होती है|

चौथा पहलु यह भी समझें कि सरकार और हरयाणा पुलिस के डी.जी.पी. जाटों द्वारा दोबारा से आंदोलन की घोषणा मात्र से कितने असहाय दिख रहे हैं जो बयान दे रहे हैं कि उपद्रव-आगजनी और लूटपाट करने वाले को गोली मारने का जनता को कानून अधिकार देता है| मतलब साफ़ है यह लोग पहले ही हाथ खड़े कर गए हैं कि जाट दोबारा से चढ़ आये तो हमारी तरफ से सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं, अपनी रक्षा खुद कर लेना|

हरयाणा के डीजीपी साहब, आप यह कह के कि "उपद्रवी-दंगाई-आगजनी-लूटपाट करने वालों को जनता को गोली मारने का कानून हक देता है!" की बात कह कर ट्रेंड-कबूतर मंडली और राजकुमार सैनी की ब्रिगेड की हौंसला अफजाई कर रहे थे या जाटों को दंगाइयों (क्योंकि फरवरी में मुख्यत: दंगाई ट्रेंड-कबूतर और ब्रिगेड वाले ही थे) को गोली से उड़ाने की खुली छूट दे रहे थे? काश, डीजीपी साहब अपनी बात का इतना पक्ष भी स्पष्ट कर जाते तो मुझे समझने में और आसानी रहती|

खैर, मूल बात यही है कि जाट अगर इस खौफ से आगे खौफ दिखाएंगे तो डर में सरकार पागल भी हो सकती है और पागल हुआ इंसान हो, जानवर हो या सरकार वो पलटवार एक ही उद्देश्य मात्र से करते हैं और वह है स्व-अस्तित्व और इज्जत की रक्षा| इसलिए जाट पहले से इन्सटाल्ड अपने खौफ के इफ़ेक्ट और इम्पैक्ट को समझें और धैर्य धारें|

आपका इतना मात्र बोल देना कि फिर से आंदोलन करेंगे, सरकार पर वैसा ही असर कर रहा है जैसे आपके पुरखे "दादा ओडिन" उर्फ़ "शिवजी भगवान" जब तीसरी आँख खोल देते थे तो तब होता था| तो जब भृकुटि तानने मात्र से जहां काम बनता हो, वहाँ जेठ की लू-धूल में क्यों शरीर जलाओ, सड़कों पे जूती-चप्पल घिसाओ| बैठकों-चौपालों में शांति से टी.वी. लगा के आपके पक्ष के लिए कोर्टों में लड़ रही सरकार और वकीलों की कार्यवाही देखो और हुक्के की गुड़गुड़ाहट लेते रहो|

सरकार-पुलिस हाथ खड़े करें, या चौपड़ा जैसे चिकने बब्बूगोस्से अपने मुंह से गोस्से से फेंकें, इनको दरकिनार करते हुए जाट को समझदारी और सूझबूझ का परिचय देना होगा| और अपने पुरखों द्वारा जंगल-पत्थर-रेई-झाड़ साफ़ करके समतल बना, उपजाऊ बना इतनी हरी-भरी बनाई धरती कि जिससे इसका नाम ही हरयाणा पड़ा, को संजों के रखने की सबसे पहली जिम्मेदारी बड़ी संजीदगी से निभानी होगी|

वैसे भी और जैसे ऊपर कहा इस वक्त सरकार क्रॉस-रॉड पर खड़ी है, अपनी ऊर्जा, जनता का पैसा बेकार की उन चीजों पर खर्च कर रही है, जिसकी जनता इनसे उम्मीद भी नहीं करती| पठानकोठ में मात्र 2-3 दिन के ऑपरेशन का खर्च 400 करोड़ रूपये आया था तो सोचो 5 जून को आंदोलन होगा भी कि नहीं, फिर भी घोषणा मात्र से ही सरकार ने हर जिले में 4-4 फ़ोर्स की टुकड़ियों के हिसाब से 30-35 टुकड़ियां यानि करीब 3500 से ले 4000 सैनिक हरयाणा में बुला डाले हैं| तो ऐसे में सरकार खुद भी नहीं चाहेगी कि जनता के टैक्स का पैसा फ़ौज-फ़ोर्स को यहां डाले रखने में ज्याया करती रहे| अत: इस बार कोर्ट में जवाब देने की जल्दी जाट से ज्यादा सरकार को रहेगी|

बोलो "दादा ओडिन जी महाराज" उर्फ़ "भोले शंकर" की जय!

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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