Tuesday 27 September 2016

यदि हरियाणा में हिन्दू अरोड़ा/खत्री उर्फ़ पंजाबी एक हो जाये तो हम हरियाणा में सांसदों की एक की बजाय पांच सीट जीत सकते है। - अश्वनी चोपड़ा, करनाल बीजेपी सांसद|

बावली खिल्लो, इनेलो खामखा ही दस साल से अशोक अरोड़ा को स्टेट प्रेजिडेंट बनाये बैठी है?

खट्टर बाबू, "हरयाणा एक, हरयाणवी एक" के यह कैसे हरयाणवी हैं; जो आपके ही इस नारे की धज्जियां उड़ा के हरयाणवी को हरयाणवी-हिंदी-पंजाबी में बाँट रहे हैं? चलो कम-से-कम खट्टर बाबु के इस जुमले की पोल तो खोली सांसद महाशय ने|

अब कुछ काम की तथ्यपरक बात हो जाए:

चोपड़ा बाबू, आपकी इन्हीं जैसी हरकतों के चलते आपके पुरखों ने पंजाब में आतंकवाद सुलगाया, वही आतंकवाद जिसका सर्वप्रथम ग्रास बनने वालों में आपके पिता श्री जगतनारायण थे| इसी भड़काऊ और समाज को फाड़-खाऊ रवैये से आप लोगों ने आज़ाद पंजाब के पहले किसान सीएम सरदार प्रताप सिंह कैरों की हत्या करवाई| वहाँ के सिखों ने आपकी असलियत पहचानी और आपके पिता को गोलियों से भून बगाया, और ऐसे आपके पुरखों की बदलौत पंजाब में आतंकवाद की नींव पड़ी|

आप लोगों ने संघियों के साथ मिलके वहाँ हिंदी आंदोलन चलाया और आज जो खुद को आप पंजाबी-पंजाबी कहते नहीं थकते आपने ही वहाँ अपनी मातृभाषा हिंदी लिखवाई? इससे द्वेष बढ़े और बढ़ते-बढ़ते इतने बढ़े कि आपके समुदाय को सिखों ने पंजाब से खदेड़ दिया| आपके हिंदी आंदोलन की तो हवा निकली ही निकली, साथ ही अपनी पूँजी और सम्पत्ति बेच या छोड़छाड़ सिखों के वहाँ से चल के हिन्दू बाहुल्य हरयाणा में पनाह लेनी पड़ी| भाईचारे और मानवता के पालक हरयाणा ने तो यह तक नहीं पूछा कि वहाँ से क्यों भागे, बल्कि सौहार्द के साथ स्वागत किया|

ओह इस बीच याद आया, सांसद महोदय के इस बयान की निंदा करने हेतु जातिवाद के विरोधी दिखाई नहीं दिए कहीं भी, कि महोदय क्यों जातिवाद फैला रहे हो? बैड-लक सांसद महोदय, इस न्यूज़ पे हाईलाइट पाने हेतु आपका जाट होना जरूरी है| परन्तु साथ ही यह भी है कि जाट हो जाओगे तो फिर ऐसा बयान ही नहीं दोगे| आपका दोष नहीं है दिनरात बिज़नस में चार-सौ-बीसी के पैंतरे चलाते-चलाते आपने जो डिफाल्टर बन बैंकों के 20 करोड़ डकारे हुए हैं ना, उससे लगता है आपने जनता को भी बैंक ही समझ लिया है; कि जितना चाहो उतना वोट रुपी कैश निकालो, वापिस मांगने पे ठेंगा दिखा दोगे?

देखो महाशय, ऐसा तो हो नहीं सकता कि पूरी अरोरा/खत्री जमात आप जैसी बददिमाग व् समाज को फाड़-खाऊ प्रवृति की हो| परन्तु क्या है कि इतिहास में तीन बार आप जैसों की समाज की गणतांत्रिक शक्तियों से कांफ्रण्टेशन हो चुकी|

पहली हुई थी जब सरदार भगत सिंह की फांसी बारे शादीलाल व् शोभा सिंह ने अंग्रेज अदालत में गवाही दी थी| आप लोगों ने सोचा कि भगत सिंह का किस्सा ही खत्म करवा दो, परन्तु उल्टा आज वो हुतात्मा देशभक्ति के नभ का ध्रुव तारा बनके जगमगा रहा है|

दूसरी हुई सर छोटूराम के साथ, उन्होंने तो जो मरोड़-मरोड़ के कलम तोड़-तोड़ के आपके तोड़ और बट निकाले थे, उसकी कसक तो आप लोगों ने अपनी औलादों में भी पूरी भर दी, ऐसी दिखती है, क्योंकि इसीलिए तो फरवरी जाट आंदोलन में आप लोग प्रथम दृष्टया रोहतक में सर छोटूराम की मूर्ती की ओर लपके थे|

तीसरी कांफ्रण्टेशन हुई सरदार प्रताप सिंह कैरों के साथ| नतीजा आपने पिता खोया, आपके समुदाय ने वही पंजाब खोया, जिसके नाम से आप आज भी अपनी आइडेंटिटी जिन्दा रखना चाहते हो?

सांसद महोदय कोई जेनेटिक लोचा है क्या आपके भीतर? नहीं मतलब वो कहावत क्यों कर रहे हो कि "कुल्हड़ में दाने, और कूद-कूद खाने?" अर्थात जब पैसा-संसाधन नहीं होते हैं तो मजदूर बनके भी पैसा जोड़ लेते हो यानि इतनी तन्मयता रखते हो ऊपर उठने की| परन्तु जब पैसा-संसाधन हाथ आ जाते हैं तो लगते हो बेलगाम होने?
भारत विभाजन के वक्त वहाँ से मुस्लिमों ने उजाड़े तो, भारत के पंजाब में आशियाने बनाये| वहाँ गूँज के बसने का दो पैसे का बयोंत बनाया तो उत्तर-कातर करके पंजाब आतंकवाद में सुलगा दिया? जिससे सिखों ने आपको वहाँ से खदेड़ भगाया|

अब इधर हरयाणा में आ के फिर से दो पैसे का बयोंत बनाया तो अब फिर वही हरकतें आपकी? क्या मतलब आपके जीन्स को सफलता और मेहनत संभाल के रखनी नहीं आती क्या?

मुझे लगता है कि वो "जाटड़ा और काटडा, अपने को ही मारे" की कहावत आप जैसों पर कुछ ऐसे ज्यादा सटीक बैठती है कि "अरोड़ा और फोड़ा खुद को खुद ही मारे|" फोड़े का समय रहते इलाज ना करो तो वो एक परिपक्व समय पर खुद ही फट पड़ता है| और क्योंकि पैसा और ताकत सँभलती दिख नहीं रही आपसे, इसलिए कहीं खुद ही फट के खुद को ही उजाड़ने तो नहीं चल पड़े हो?

आप हरयाणा में खुद को स्वघोषित पंजाबी कहलाना चाहते हो; जबकि 1966 से पहले हरयाणा पंजाब का ही हिस्सा होने की वजह से आधा-पंजाबी तो मैं भी हूँ| तो ऐसे तो 10 की 10 सीटें पूरे हरयाणवी पंजाबी की हैं? और वैसे भी आप तो पंजाबी कहलाने का मोरल ग्राउंड ही नहीं रखते महाशय; पंजाब में आतंकवाद फैलाया आपके पुरखों ने, पंजाब में रहते हुए अपनी मातृभाषा हिंदी लिखवाई आपके पुरखों ने, आतंकवाद के चलते पंजाब से खदेड़ा गया इकलौता हिन्दू समुदाय है कोई तो वो आपका? असल मर्म की बात तो यह है जनाब कि आपमें पंजाबीपणे का रत्तीभर भी गुण होता तो आप आज भी पंजाब में ही बस रहे होते|

अब एक अपील: अंत में हरयाणवी जनता से अपील है कि इस सांसद की बयानबाजियों का देशहित में तुरन्त संज्ञान लिया जावे| क्योंकि यह बिलकुल वही बयानबाजियां कर रहे हैं, जैसी इनके पिताजी पंजाब में किया करते थे और जिनका अंत नतीजा पंजाब ने आतंकवाद भुगता था| अब भोले-भाले भाईचारे में गूंथे हरयाणवी हिन्दू समाज में यह महाशय उथल-पुथल मचाने पर आमादा प्रतीत होते हैं| इनको तुरन्त प्रभाव से समाज से अलग-थलग कर आईसोलेट करने का अभियान चलाया जाए, इनकी निंदा की जाए|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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