Monday 9 March 2020

हरयाणवी पृष्ठभूमि की जो भी जाति या गौत उनका सम्मेलन/महापंचायत आदि करे तो हरयाणवी भाषा/कल्चर/कस्टम को बचाने हेतु भी कुछ प्रस्ताव पारित करे!


हरयाणवी पृष्ठभूमि यानि वर्तमान हरयाणा, दिल्ली, वेस्ट यूपी, दक्षिणी उत्तराखंड व् उत्तरी राजस्थान में आयोजित होने वाले इन सम्मेलनों में मृत्यु भोज बंद हो, ना दहेज लो ना दो, शराबबंदी हो, लड़का-लड़की को बराबर समझा जाए व् दोनों को बराबर से शिक्षित किया जाए, फंड-ढोंग-पाखंड-आडंबरों से दूर रहा जाए आदि-आदि तरह के प्रस्ताव सदियों से पारित व् प्रचारित होते रहे हैं|

परन्तु इन ट्रेडिशनल प्रस्तावों के साथ-साथ आज इस विशाल हरयाणा के बदलते डेमोग्राफिक माहौल के मद्देनजर जिन अन्य व नए प्रस्तावों को ऐसे हर मंच से अति-गंभीरता व् मुख्यता से पास कर सम्मेलनों के मंचों से उनकी घोषणा के साथ-साथ संबंधित जिलों के डीसी ऑफिस, सीएम ऑफिस, स्टेट हाईकोर्ट, स्टेट व् सेण्टर लैंग्वेज एंड कल्चरल हेरिटेज से संबंधित विभागों को लेटर्स भेजें जाएँ, वह निम्नलिखित होने जरूरी हो गए हैं:

1) हरयाणवी भाषा को राजकीय भाषा का दर्जा दिया जाए, उसको हर सम्भव एजुकेशन बोर्ड में एक भाषा की तरह पढ़ाया जाए|
2) हरयाणवी कस्टम्स के "कस्ट्मरी-लॉज़" का एक-एक अध्याय "सामाजिक विज्ञान" जैसी पाठ्यक्रम की पुस्तकों में जोड़ा जाए|
3) इन कार्यक्रमों में सम्मिलित होने वाले युवाओं को "गाम-गौत-गुहांड" के नियमों, "दादा नगर खेड़ों के आध्यात्म व् महत्व", "सर्वखाप के इतिहास", "उदारवादी जमींदारी" की थ्योरियों से परिचित करवाने हेतु "वर्कशॉप्स" लगवाई जाएँ, इन विषयों पर भाषण करवाए जाएँ व् इन विषयों बारे सरकारों द्वारा परिचय व् जागरूकता कार्यक्रम करवाए जाएँ| इन विषयों को न्यूनतम स्टेट स्तर के हर कल्चरल युथ फेस्टिवल्स में इवेंट या वर्कशॉप के तहत शामिल करने हेतु प्रस्ताव दिए जाएँ| व् इनकी शुद्धता के साथ प्रस्तुति सुनिश्चित करने हेतु, इन विषयों के एक्सपर्ट्स के स्पेशल पेनल्स बनाये जाएँ|
4) स्कूल-कालेजों में हफ्ते में एक दिन "कल्चरल ड्रेस डे" घोषित किया जाए व् हरयाणवी बच्चों को शुद्ध हरयाणवी परिधान पहन कर आने की कहा जाए|
5) हरयाणवी कल्चर बारे मीडिया से ले तमाम तरह की एंटी-हरयाणवी ताकतों से प्रोफेशनली कैसे पेश आना है व् कैसे उनसे निपटना है, इस बारे बाकायदा एजुकेशनल ट्रेनिंग दी जाए|

व् इसी तरह के अन्य हर सम्भव वह प्रस्ताव जो हरयाणवी भाषा/कल्चर/कस्टम को संजोने व् आगे बढ़ाये रखने हेतु कारगर साबित हो सकता हो वह शामिल किया जाए|

अनुरोध: हरयाणवी भाषा/कल्चर/कस्टम पर कार्य करने वाले तमाम संगठनों/संस्थाओं/साथी सहयोगियों से अनुरोध है कि आगे से वह उनके इलाके में होने वाले हर ऐसे कार्यक्रम/पंचायत/खाप पंचायत/सम्मेलन/सभा पर नजर रखें व् इनके आयोजकों से सम्पर्क साधें व् उनको ऊपर लिखित बिंदुओं पर प्रस्ताव पारित करके, ऊपर बताये तरीके से सरकारों/विभागों व् मीडिया तक पहुंचाने हेतु मनावें/जागरूक करें, प्रेरित करें| यूनियनिस्ट मिशन, हरयाणा स्वाभिमान सभा, जमींदारा स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन आदि-आदि जैसे इन मसलों पर अति जागरूक व् चिंतक संगठन इस मुहीम को पंख लगाने में अग्रणी व् यादगार भूमिका निभा सकते हैं|

मेरा मानना है कि अगर ऐसे सामाजिक वर्गों/जातियों/समूहों के मंचों से इन बातों की शुरुवात हुई तो इसको एक आंदोलन का रूप लेते देर नहीं लगेगी व् हर प्रकार की सरकार को फिर इन प्रस्तावों को तवज्जो देनी पड़ेगी| शायद इतनी तवज्जो हो जाए कि यह बातें पोलिटिकल पार्टियों का एजेंडा तक बन जाएँ|

मुद्दा हरयाणवी का है हिंदी में लिखा है, इस उम्मीद में कि एक दिन ऐसा होगा कि यह लेख भी हरयाणवी में लिखे होंगे| मैं तो आज भी लिख सकता हूँ परन्तु अधिकतम पाठकों की सुगमता हेतु फ़िलहाल हिंदी में लिखा है|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

No comments: