Sunday 10 May 2020

खापों की प्रधानी जाटों कै के जड़ राखी सै!

बिनैण-खाप के प्रधान दादा चौधरी नफे सिंह नैन जी की खाप-प्रधानी बदलने की बात उठी थी, शायद अभी थमी नहीं है| बोल रहे थे कि खापों की प्रधानी जाटों कै के जड़ राखी सै, बदलो इस प्रधान को| ऐसे बदबुद्धियों से मेरा सवाल, "इन मंदिरों की पुजारत के एक जाति विशेष कै जड़ राखी सै, बदलो इनको भी?" इस तरह के "चूचियों में हाड" ढूंढने टाइप के न्याय करने चले हो तो आ जाओ मैदान में, देखें कितने आदर्शवादी हो, कितने न्यायकारी हो? दूसरी बात वह बूढा दादा 90 साल से ऊपर का हो लिया, क्या उसकी खाप के प्रति श्रद्धा (जैसी भी रही हो परन्तु बहुतों जगह अड़ा है वो बूढा, वक्त-वक्त पर) का यह सिला दोगे उसको? तुम्हें ऐसे घल्लू-घारे करने भी हैं तो उसकी मृत्यु के बाद कर लेना?

बाकी यह "खापों की प्रधानी जाटों कै के जड़ राखी सै" की बकवास काटने वालों से पूछो कोई कि तुम 2007 से ले 2012 तक कित थे, जब शक्ति-वाहिनी एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में केस डाला था खापों पर? था एक भी नॉन-जाट, खापों को डिफेंड करने वाली कमेटी में? जब जनवरी 2012 में इन्हीं दादा नफे सिंह जैसी चौधरियों ने अपनी दलीलों से सुप्रीम कोर्ट में शक्ति-वाहिनी एनजीओ को झुका लिया था और जब इनको लगा कि यह कानूनी तरीके से भी खाप को नहीं मार सकते, तब रिटायर्ड जरनल डीपी वत्स की खापों में एंट्री करवाई गई ताकि खापों को बचाने का सारा क्रेडिट अकेले जाट ना ले जावें|

हम जानते हैं तुम्हारे यह ड्रामे| मैं खुद हूँ इस सुप्रीम कोर्ट वाले केस में कूटनैतिक से ले एनालिटिकल योगदान देने वाला रहा हूँ, फ्रांस बैठे-बैठे भी, इसलिए सब बाहर-भीतर जानता हूँ आज की खापों की हालत की| और मेरी तरफ से अनुरोध है बिनैण खाप के यूथ को कि ऐसे "बंदरों" को दूर रखना अपनी खाप से| वह बूढा दादा कड़वा बोले, हड़क के बोले तो भी उसके आदर-मान में कमी मत आने देना, वर्ना ऐसा बड़-वृक्ष ढाया तो आत्मा कटोचेंगी तुम्हें, तुम्हारी ही| और भतेरे हैं, जो खापों के नाम पर स्वांग करते फिरैं हैं, इनको सुधार लो| 

जय यौद्धेय! - फूल मलिक       

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