लगता है फंडियों की सरकार यह जो हद दर्जे की बेशर्मी दिखा रही है कि करनाल SDM के खिलाफ वीडियो में सबूत होने पर भी उसको ससपेंड नहीं कर रही; जबकि बंगाल में एक विवाह में covid गाइडलाइन्स पालन ना करने पर एक पुजारी को थप्पड़ मारने के वीडियो के आधार पर उस DM को ही ससपेंड कर दिया था तो इसका क्या संदेश लिया जाए?
अपने कल्चर के मूल्यांकन का अधिकार दूसरों को मत लेने दो अर्थात अपने आईडिया, अपनी सभ्यता और अपने कल्चर के खसम बनो, जमाई नहीं!
Friday, 10 September 2021
जब किसान आंदोलन को अहिंसक रह कर ही चलाने की ठानी हुई है तो "आर्थिक असहयोग" भी तो अहिंसक तरीका ही है; इसको भी आजमा लिया जाए!
Sunday, 5 September 2021
खापलैंड का किसान भी गजब है; और वर्णवाद के काटे लोग यह सोचते हैं कि इनको गलत-सही दोनों में सर पर ही बैठा कर रखा जाए!
"वो तोड़ेंगे, हम जोड़ेंगे" - मुज़फ्फरनगर किसान महापंचायत का सबसे बड़ा संदेश!
Saturday, 4 September 2021
कई बार लोग पूछते हैं कि आरएसएस लोकल स्तर पर लोकल लोगों की मदद से लोकल लोगों के चंदे से ही इवेंट्स करना कहाँ से सीखी?
वह लोग खापों/मिशलों व् खाप-मिशाल कल्चर से ही निकली विभिन्न किसान यूनियनों के द्वारा कल मुज़फ्फरनगर महापंचायत में लगने वाले 500 से ज्यादा लंगरों की व्यवस्था से जान लें| कोई-कोई इन लंगरों की संख्या 1000 तक पहुँचने आशंका जता रहा है| यह ऐसे ही लंगर 1925 से पहले भी लगते थे, जब आरएसएस नहीं थी| तब खापें व् मिशल यह करती थी; इन्हीं खापों की यह लोकल स्तर पर इवेंट मैनेजमेंट की कार्यप्रणाली आरएसएस ने कॉपी की है|
Thursday, 2 September 2021
जब तक इस 35 बनाम 1 नाम के जिंक पर वॉकल हो कर इसको नहीं तोडा जाएगा!
तब तक फंडी इसके अतिरिक्त सभी वर्गों के लिए मुसीबत बना रहेगा| इसमें 1 फंडी के बिगोए इस जहर की किश्तें भरता रहेगा व् 35 में 34 को फंडी (इन्हीं में तो अपना बन के फंडी घुसा हुआ है) 1 से नफरत-द्वेष के नाम पर इन 34 को झाड़ पे टाँगे रख के इनका खून चूसता रहेगा| हालाँकि काफी सारी दलित बिरादरी तो इस 34 से निकलती जा रही हैं, जिसकी ख़ास वजहें बाबा साहेब अम्बेडकर व् गौतम बुद्ध हैं; परन्तु ओबीसी अभी फंडी के सबसे ज्यादा मोहपाश में चल रहा है|
आईए, आपको बाबा चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के कमरे से मिलवाते हैं!
चारों सलंगित फोटो में जो आप देख रहे हैं यह बाबा जी कमरा है, इससे जुडी ख़ास बातें जानते हैं|
Wednesday, 1 September 2021
2013 के मुज़फ्फरनगर दंगे, बीजेपी की देन! - चौधरी नरेश टिकैत
इसको कहते हैं, "सामने से बोल के लेना"|
Monday, 30 August 2021
कोई कस्सी से हमला करेगा तो पुलिस क्या करेगी?:
ये जो हर टीवी पे यह कहता घूम रहा है कि, "कोई कस्सी से हमला करेगा तो पुलिस क्या करेगी?" कोई इन महाशय से पूछने वाला हो कि "कोई को" कस्सी उठाने की नौबत ही क्यों आई? क्या वह शांत खड़ी या बैठी पुलिस पे कस्सी ले के दौड़ा था? जवाब है नहीं| अपितु पुलिस उसके पीछे इतना हाथ धो के पड़ी कि वह सड़क से खेतों में भी उतर गया तो भी पुलिस ने पीछा नहीं छोड़ा| तो ऐसे में कोई क्या करेगा, उसको आत्मरक्षा में जो हाथ आया उठा लिया|
बसताड़ा टोल प्लाजा, करनाल पर हरयाणा पुलिस के किसानों पर निर्मम एक्शन के इर्दगिर्द घूमते पहलु!
1 - पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट की आई टिप्पणी, "जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 2 हफ्ते में सरकारों से जवाब माँगा है कि 9 महीने लम्बे रोड-जाम क्यों"? - लगता है बसताड़ा टोल के जरिये कोर्ट के लिए जवाब तैयार करने की कोशिश की गई थी कि बर्बर हमला करके, किसानों को हिंसक करवाओ ताकि हिंसक होने का हवाला दे कर सुप्रीम कोर्ट से धरने उठवाने का ग्राउंड तैयार हो सके| परन्तु धन्य हैं किसान जिन्होनें धैर्य दिखाया व् हिंसक नहीं हुए| और उल्टा हरयाणा सरकार को ही आलोचना झेलनी पड़ रही है|
ऐसा कल्चर नार्थ-वेस्ट इंडिया का तो बिल्कुल नहीं हो सकता!
1 - कोई लड़का गाम-गुहांड की नहाती हुई लड़कियों के कपड़े उठा ले जाए, और उस पे भी उसको आदर्श माना जाए; ऐसा कल्चर नार्थ-वेस्ट इंडिया का तो बिल्कुल नहीं हो सकता|