Monday 30 August 2021

कोई कस्सी से हमला करेगा तो पुलिस क्या करेगी?:

ये जो हर टीवी पे यह कहता घूम रहा है कि, "कोई कस्सी से हमला करेगा तो पुलिस क्या करेगी?" कोई इन महाशय से पूछने वाला हो कि "कोई को" कस्सी उठाने की नौबत ही क्यों आई? क्या वह शांत खड़ी या बैठी पुलिस पे कस्सी ले के दौड़ा था? जवाब है नहीं| अपितु पुलिस उसके पीछे इतना हाथ धो के पड़ी कि वह सड़क से खेतों में भी उतर गया तो भी पुलिस ने पीछा नहीं छोड़ा| तो ऐसे में कोई क्या करेगा, उसको आत्मरक्षा में जो हाथ आया उठा लिया|

उसके पीछे जिस तरीके से पुलिस पड़ी थी उस पूरे वाकये को कोई देखे एक बार, ऐसा लगेगा कि जैसे पुलिस को ऊपर से संदेश हुआ हो कि इतनी बर्बरता तक पीटना है कि वह हिंसक होवें| फिर भी टेक रह गई, वरना हिंसक होना क्या होता है इसका "महम काण्ड" गवाह है; जब मोखरा गाम के लोगों ने 3 हजार पुलिस को इतना बेरहमी से पीटा था कि आधे से ज्यादा पुलिस को तो सिविल के कपड़े पहन-पहन मौके से बच के निकलना पड़ा था|
धन्य हो सरदार बलबीर सिंह राजेवाल जी, जिन्होनें अबकी बार किसानों "किसी भी हालत में हिंसक नहीं होने का" ऐसा अचूक अस्त्र दिया हुआ है कि किसान उसको शिरोधार्य करके चल रहे हैं व् इसीलिए इन फंडियों की हर बर्बर चाल नेस्तोनाबूत हो रही है|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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