Tuesday, 24 March 2015

टैलेंट बनाम आरक्षण!


जैसे किसान के उत्पाद का दाम निर्धारित करने का आरक्षण व्यापारी जाति के पास है, जैसे किसान की भक्ति को हाईजैक करके लेबलिंग करने का आरक्षण पुजारी जाति के पास है, क्या ठीक वैसे ही व्यापारी के उत्पाद का दाम भी किसान को निर्धारित करने का आरक्षण नहीं होना चाहिए और पुजारी के दान का हिसाब-किताब करने का आरक्षण भी किसान-कमेरे को नहीं होना चाहिए?

अरे इतने सारे जाति पर आधारित आरक्षण पहले से लिए बैठे हो, और एक मात्र नौकरियों के आरक्षण पे रोते हो? नहीं शायद सही कहते हो, ...अब इस जाती आधारित आरक्षण को खत्म कर ही देना चाहिए, तो चलो पहले खत्म करो यह दोनों आरक्षण जो कि बाकी के तमाम आरक्षणों की जड़ हैं|

यह उन महानुभावों के लिए है जो यह कहते हैं कि जिसको जो काम आता है, उसको वही करना चाहिए|

अरे किसान को नहीं चाहिए व्यापारी के उत्पादों का दाम निर्धारित करने का आरक्षण या पुजारी के दान का हिसाब-किताब रखने का आरक्षण, किसान को उसके उत्पाद का दाम निर्धारित करने का आरक्षण दे दो, फिर हो जाने दो नौकरियों का आरक्षण खत्म, कोई परवाह नहीं|

अन्यथा नौकरियों में जातिगत अथवा किसी भी प्रकार का आरक्षण खत्म करने पे बोलने वाले, पहले अपना गिरेबान झांकें|

यह "तुम्हारा टैलेंट, टैलेंट, बाकियों का टैलेंट गोबर" वाली मत करो| जानते हैं नौकरियों में जैसा टैलेंट चलता है, 90% डोनेसन पे डिग्री ले, बाद में सिफारस और भाई-भतीजावाद के जरिये लगे हुए होते हैं|

और फिर आपको नौकरियों में ही आरक्षण खत्म क्यों चाहिए, आप खेतों में हल चलाने के लिए आरक्षण क्यों नहीं मांगते? आप लोग बोलो ना कि हमें भी हल चलाना है, इसलिए हमें हल चलाने का आरक्षण दो| तब पता लगे टैलेंट के दम का तो|

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