Thursday, 28 May 2015

एंटी-जाट कैंपेन का एक रंग यह भी!

काफी बचने की कोशिश कर रहा था कि मैं इस बहस में नहीं पडूं| परन्तु कल ऐसा मूड बना कि उनसे बात करने की ही ठानी और "राजपूत फैशन क्लब" वालों से तकरीबन अढ़ाई घंटे की लम्बी बहस हुई| बहस का नतीजा तो खैर यह निकला कि अंत में भाइयों को मेरी बातों के उत्तर ना मिलते देख मेरे साथ चल रही उनकी दोनों डिबेटेँ ही उड़ानी पड़ी यानी डिलीट करनी पड़ी| पूरी बहस के दौरान मैं लगभग अकेला रहा और वो कभी तीन तो कभी चार|

खैर कई बार ऐसी मन की भड़ासें निकलना भी जरूरी होता है| लेकिन जिस वजह से यह पोस्ट लिखनी पड़ी वो अब आगे बता रहा हूँ|

उनसे बहस के दौरान पता चला कि राजपूत जाति के दिमाग में यह बात बैठाई जा रही है कि हरयाणा का सीएम श्रीमान खट्टर को नहीं अपितु श्री वी. के. सिंह, जो कि जाति से राजपूत हैं उनको बनना था, परन्तु हरयाणा में जाटों के चलते नहीं बन पाये|

जब मैंने उनसे यह तर्क रखते हुए कि अगर बीजेपी एक राजपूत को हरयाणा का सीएम बना रही थी तो अजगर यूनिटी के पैरोकार जाट भला इसमें क्यों रोड़ा अटकाते? यह कोई राजस्थान थोड़े ही है कि जहाँ जाट सीएम नहीं बनने देने को ले के कितनी बेइंतहा राजनैतिक कसरत की जाती है| इसके बाद जब उनको अजगर यूनिटी और सौहार्द का 1989-1991 वाला वो स्वर्णिम काल याद दिलवाया कि कैसे चौधरी देवीलाल जी ने एक जाट होते हुए एक नहीं अपितु दो राजपूतों श्री वी. पी. सिंह व् श्री चंद्रशेखर को खुद पीएम की कुर्सी का त्याग करते हुए पीएम बनाया था तो अगर एक राजपूत हरयाणा का सीएम बन जाता तो जाटों को इससे क्या दिक्कत होनी थी भला? इस पर उन लोगों से कोई जवाब नहीं बना|

मैंने उनको यही कहा कि दूसरों के बहकावे में आने की बजाय अपने लॉजिक्स प्रयोग करके, ज्यादा दूर की नहीं बस पिछले 25-30 साल का इतिहास भी देखते तो आप लोग ऐसा नहीं कहते| जरूर आप बिना-सोचे समझे किसी और की जाट-विरोधी मंशाओं का शंख बनके जाटों से झूठा द्वेष पाले हुए हो, या कोई तुम्हारे अंदर इसको पलवा रहा है|

लेकिन मुझे इसके साथ ही यह समझते हुए तनिक भी देर नहीं लगी कि कौनसी एंटी-जाट ताकतें राजपूतों को जाटों के खिलाफ उकसा रही हैं| परन्तु इससे भी बड़ा अफसोस मुझे इस बात का हुआ कि इतनी अग्रणी कही जाने वाली जाति के लोग कैसे बहकावों को मान लेते हैं, कि अजगर का जरा सा इतिहास भी उठा के पढ़ने की नेमत नहीं उठाई और जिसने जो कहा वो मान लिया|

फिर मैंने उनको यह भी कहा कि बीजेपी किसी जाट को सीएम बनाती तो तुम्हारी बात कुछ समझ में भी आती| अब इस परिस्थिति में किसी गैर-राजपूत को सीएम की कुर्सी दिए जाने का तुम्हारा जाट के खिलाफ गुस्सा समझ नहीं आता| इस पर भी फिर वो चुप गए|

यही एक पॉजिटिव बात से मुझे उस बहस में पड़ने के अपने फैसले पर ख़ुशी हुई कि सकारात्मक बहस करने से काफी ऐसी बातें पता चल जाती हैं, जिनकी कि सामान्य परिस्थिति में तो कल्पना भी नहीं कर सकते| मतलब किसने सोचा होगा कि एक जमाने में 2-2 राजपूतों को पीएम की कुर्सी पर बैठाने वाले जाटों के खिलाफ राजपूतों को भड़काया अथवा बहकाया जायेगा और राजपूत बिना एक बार इतिहास में झांके, जाटों के प्रति व्यर्थ का गुस्सा पाल लेंगे| वाकई में जाट के लिए फूंक-फूंक के कदम रखने का दौर है|

और शायद राजपूत समाज को भी बैठ के सोचने की जरूरत है कि उनके असली दुश्मन कौन हैं| वो जिन्होनें 1947 में उनकी रियासतें छीनी, वो जिन्होनें बॉलीवुड फिल्मों में राजपूतों को नेगेटिव किरदारों में दिखा-दिखा के समाज में उनकी क्रूर छवि बनाई या वो जाट जिन्होनें 2-2 राजपूतों को पीएम तक बनाया? दादा सर छोटूराम जी, यह सही दुश्मन ना पहचानने का क्राइसिस सिर्फ जाटों में ही नहीं, वरन राजपूतों में भी है; और साथ ही भुकाई (बहकावा) में आने वाला भी|

यह तो वही विगत 5 मई 2015 को हुआ 'हरयाणा खत्री-पंजाबी सभा' वाला किस्सा हो गया कि जाट को नौकरियों में आरक्षण मिलने या ना मिलने से भाईयों को भले ही कोई फर्क नहीं पड़ना था, परन्तु छंट के जाट-विरोधी जरूर दिखना था; बताओ अब सीएम बने खट्टर साहब और राजपूतों की बोहें फिर भी जाटों पे तनवाई जा रही हैं| बुरा मत मानना मेरे राजपूत बीरो, परन्तु आप तो जाटों से भी भोले हो|

वैसे आपके या आपको बहकाने वालों के अनुसार हरयाणा स्टेट में तो आपका सीएम नहीं बना पाया परन्तु सेंटर का क्या हुआ, वहाँ पीएम आपका क्यों नहीं बना, या वहाँ भी जाट आड़े आ गए थे आपके?

अजगरों (अहीर-जाट-गुज्जर-राजपूत) सोचो और विचारो, एक बनके रहे तो पीएम भी तुम्हारे बने, और डिप्टी पीएम भी तुम्हारे| बिखरे पड़े हो तो आज क्या पल्ले है तुम्हारे? सिर्फ नफरत का जहर, एक दूसरे पर छींटाकशी और अलगाव?

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

12 comments:

kishan rathore said...

Ajgar ekta ke liye karna kya hoga

kishan rathore said...

ajgar ekta ke liye karna kya hoga

kishan rathore said...

ajgar ekta ke liye karna kya hoga

P K Malik said...

Keshav Singh humen AJGR Unity ki history baare sabko avgat karwana hoga. isko sabse pahle sir chhoturam ne try kiya, iske baad Chaudhary Charan Singh, Tau Devilal aur Baba Mahendra Singh Tikait ne bhi iski pairokari ki. hum AJGR ke roop mein unite the to bahut samppan ho gaye the, but jabse yah unity tooti hai hum pichhdte hi ja rahe hain

kishan rathore said...

maine yahan apne saher banaras mein in charo kaum ke logon se baat ki par unko to apni koi history ka gyan hi nahi , bus ek doosre ko apne se alag mante hain.
kya koi aisi website ya anya material hai jis se ki inhe apne pichle relation ke bare mein pata chale

kishan rathore said...

aur is bat mein kitni sachai hai ki jat rajput gujjar ek hi log the jo ki arya hain.
agar ek log the to alg kaise aur kyun hue aur ab wapas ek hone ka kya upai hai

kishan rathore said...

Sir, today I came across some articles saying jats rajputs are Indo scthyian people and rajputs are mainly jats and gujjars. If true then how we got separated what's the real cause for it

kishan rathore said...

Sir today I came across some articles that historians say that rajputs are basically jats and gujjars who politically got separated and we are Indo Scythians. Then how we got separated to such degree and what can be done next

P K Malik said...

Keshav Singh, iske liye sabse jaroori yahi hai ki 'needs' ko samjh ke chala jaaye. AJGR communities ki life ki needs and demands almost similar hain.

Unknown said...

Dear Sir, I dont know Who are you I am a Rajput Girl from dehradun uttarakhand. me net me kai artical thoughts, logo ke padti hu but inme ek dusare ke parti hin bhawana hi milti he ek dusare ko nicha dikhane me puri kosis ki jati he chahe vo sach ho ya galat ek dusare ke ma behan ko galat kaha jata he sabse pehle hume net me ek dusare ko sahi tarike se pesh karne ki jarurat he kyuki iski vajah se hum ek dusare ko dusman samjhte he of apne shehro me viprit jati ko dusman ki najar se dekhte he me sab me ekta chahti hu agar hum sabh me bhatke huye bhai bahan he to ek hona hi hoga koi amir he koi garib he koi devolop he koi nahi he hume sabko sath lena hoga hoga agar hum ek dusaro ki ma bahan ko hi galat kahenge to iska matlab hum khud ko galat keh rahe he agar hum sach me ek hi khoon he to hume social media se hi khud ko ek susare ke parti thik karne ki jarurat he varna ek dusare ke parti chota sa galat comment humare dil me humesha ke liye kale bij bo deta he bat choti he magar asar gehra hota he

Unknown said...

Dear Sir, I dont know Who are you I am a Rajput Girl from dehradun uttarakhand. me net me kai artical thoughts, logo ke padti hu but inme ek dusare ke parti hin bhawana hi milti he ek dusare ko nicha dikhane me puri kosis ki jati he chahe vo sach ho ya galat ek dusare ke ma behan ko galat kaha jata he sabse pehle hume net me ek dusare ko sahi tarike se pesh karne ki jarurat he kyuki iski vajah se hum ek dusare ko dusman samjhte he of apne shehro me viprit jati ko dusman ki najar se dekhte he me sab me ekta chahti hu agar hum sabh me bhatke huye bhai bahan he to ek hona hi hoga koi amir he koi garib he koi devolop he koi nahi he hume sabko sath lena hoga hoga agar hum ek dusaro ki ma bahan ko hi galat kahenge to iska matlab hum khud ko galat keh rahe he agar hum sach me ek hi khoon he to hume social media se hi khud ko ek susare ke parti thik karne ki jarurat he varna ek dusare ke parti chota sa galat comment humare dil me humesha ke liye kale bij bo deta he bat choti he magar asar gehra hota he

P K Malik said...

I fully agree with you (Rajput Girl, don't find your name in your comment!)!