Monday 27 July 2015

गांधीवादी वायरस!


अन्ना ने कहा कि वह आगामी 2 अक्तूबर यानि गांधी जयंती के अवसर पर भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ और ओ.आर.ओ.पी के समर्थन में अनशन करेंगे |

इसे कहते हैं कलम की ताकत | कलम वालों ने गांधी को एक ऐसा हीरो बना दिया कि कोई भी आंदोलन हो गांधी का नाम जरूर लिया जाता हैं | जबकि हकीकत यह हैं कि गांधी ने अपने जीवन में तीन आंदोलन किए थे और तीनों ही अधूरे रहे , तीनों ही बीच में वापिस ले लिए | जो लोग गांधी के नाम से आंदोलन की बात करते हैं क्या उनसे उम्मीद की जा सकती हैं कि वे क...िसी भी आंदोलन को अंजाम तक ले जाएंगे ? अन्ना जी आपकी तो खुद की ही बीरदारी में महात्मा ज्योति बा फूले इतने बड़े महापुरुष हुए हैं , जिन्होने अपने आंदोलन को पार उतारा , और नहीं तो कम से कम उसी को याद कर आंदोलन शुरू करने की बात कह देते ? किसान और फौजी का गांधी से क्या लेना देना ? असहयोग आंदोलन से गांधी खुद किसानों की ज़मीन छीनवाना चाहता था और आप उसी के नाम से किसान की लड़ाई की बात कर रहे हैं ? ना गांधी और ना ही गांधी की जात का कोई किसान-फौजी और आप ऐसे के नाम से किसान-फौजी के लिए आंदोलन की बात करते हैं ? जब तक किसान - जवान की लड़ाई के लिए तारीख 2 अक्तूबर रखी जाती रहेंगी तब कोई समाधान नहीं होगा|

इसलिए यदि कोई भी आंदोलन सिरे चढ़ाना हैं तो गांधीवादी होने का ढोंग छोड़ छोटूरामवादी बनना पड़ेगा | जब तक यह गांधीवाद का वायरस हमारे दिमाग में रहेगा तब तक मंडी-पाखंडी का राज कायम रहेगा | नेहरू से मोदी तक सब अपने दफ्तर में गांधी की तस्वीर ऐसे ही नहीं लगाते , यह तस्वीर इनके राज की मोहर है , राज अपना लाना है तो इस वायरस को दिमाग से निकालो ! इस गांधीवाद वायरस का सिर्फ एक ही एंटि-वायरस है और वो है छोटूरामवाद , इस एंटि-वायरस का इस्तेमाल करो और फिर करामात देखो |


Author: Rakesh Sangwan

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