भाई आर.एस.एस. वालो मेरे को कन्विंस करने हेतु मेरे से तब तक आपकी राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रवादिता की बातें निरर्थक हैं, जब तक आप अंग्रेजों के खाकी कच्छों से बाहर नहीं आते|
यह नहीं हो सकता कि आप लोग एक तरफ तो राष्ट्रभक्ति के राग अलापो और दूसरी तरफ आप द्वारा ही दुश्मन नंबर वन ठहराए गए अंग्रेजों के कच्छे पहन के घूमो|
सच कहूँ तो मैं इन कच्छों को महाराजा सूरजमल, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, राणा सांगा, राजा नाहर सिंह, महाराजा जवाहर सिंह, महाराजा रणजीत सिंह और तमाम उन खापों के यौद्धेयों जिन्होनें मुग़लों से ले अंग्रेजों तक के दाँत खट्टे किये और नाकों चने चबवाए, इन सब देशी देशभक्तों का घोर अपमान समझता हूँ| इन महान यौद्धा-यौद्धेयों ने अंग्रेजों के कच्छे पहन के नहीं, अपितु धोतियाँ पहन के जंगें जीती थी, देशभक्ति से ले राष्ट्रभक्तियां कायम की थी| अत: ऐसी अंग्रेजों के कच्छों वाली राष्ट्रभक्ति आप लोगों को ही मुबारक|
मुझे समझने के लिए आपका धन्यवाद!
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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