Wednesday, 21 October 2015

गैर-हरयाणवी पत्रकारों तुम अपने लीचड़पने से कब और कैसे बाज आओगे?

यह वीडियो देखिये, इसमें रिपोर्टिंग कर रहे मुकेश सिंह सिंगर के लिए सनपेड़ दलित अग्निकांड में जो हिन्दू स्वर्ण जाति थी उसका नाम ले के बात करने की बजाय यह बताना ज्यादा जरूरी था कि इस वीडियो में चल रहा धरना वहाँ के स्थानीय "जाट-चौक" पर हो रहा है। ताकि अभी तक जिन्होनें इस मामले के बारे नहीं सुना, उनके दिमाग में यही जाए कि इस दंगे में जो स्वर्ण पक्ष है वो जाट है।

दस मिनट लम्बी इस वीडियो में एक नहीं अपितु तीन बार इसने "जाट-चौक" का जिक्र किया। एक 4.40 से 4.45 के बीच, दूसरी बार 7.00 से 7.05  के बीच और तीसरी बार 7.30 से 7.35 मिनट के बीच।

मरोगे तुम गैर-हरयाणवी मीडिया वालो एक दिन "जाटोफोबिया" और "खापोफोबिया" हो के। जाट तो न्यू ही गूँज के बसते रहेंगे और थारे ऐसे ही भट्टे से सुलगते रहेंगे।

फूल मलिक

Concerned Video Link: http://khabar.ndtv.com/video/show/news/rahul-gandhi-met-dalit-family-in-ballabgarh-sunped-village-387698

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