Thursday, 12 November 2015

हिन्दू धर्म में दूसरा महाविनाश होने की घड़ी नजदीक आ रही है!

पहला महाविनाश तब आया था जब आज के बिहार की तरह ही तमाम दलित-पिछड़ा-कमेरा लालू-नितीश की भांति उस वक्त बुद्ध धर्म पर झुक गया था और सेल्फ-स्टाइल्ड स्वर्ण मोदी की तरह अकेला और असहाय पड़ गया था। तब स्वर्ण हिन्दू ने ही बाकी के बुद्ध बने हिन्दू को कभी पुष्यमित्र सुंग तो कभी शशांक तो कभी चच और दाहिर बनके खुद ही मारा, ना सिर्फ मारा था अपितु तमाम बुद्ध मठ और बुद्ध बौद्धिकता के नालंदा और तक्षिला जैसे केंद्र भी जला दिए थे। खापलैंड में तो उस जमाने से ले आज भी किसी के नुकसान की अति को "मार दिया मठ", "हो गया मठ", "कर दिया मठ" जैसी कहावतों के जरिये मापा जाता है।

बुद्ध धर्म हिंसा नहीं सिखाता परन्तु हिन्दू फिलोसोफी इससे अछूती नहीं, इसलिए बुद्ध शांतिपूर्वक कटते रहे और यह काटते रहे। परन्तु यह सिलसिला तब थमा था जब हरयाणा की धरती पर एक लाख की इनकी सेना को मात्र नौ हजार बुद्ध बने हिन्दुओं ने भगा-भगा के मारा था। क्योंकि जब बुद्ध कटते-कटते इतने घट गए कि बात अस्तित्व पर आ गई तो फिर उठ खड़े हुए थे इनकी हिंसा का हिंसा से ही जवाब देने हेतु।

इतनी नफरत निभाने के बावजूद भी यह बात अलग है कि यह उसी बुद्ध को हमारे हिन्दू धर्म का नौवा अवतार बताते, लिखते, गाते नहीं थकते।

दूसरा महाविनाश आने की दस्तक अब दिल्ली से होते हुए बिहार में कटटरवादियों की लगातार दूसरी हार से हो चुकी है। अब अगर यह हार के सिलसिले यूँ ही बढ़ते रहे तो (जिसके कि पूरे आसार हैं, क्योंकि जनता घृणा और हिंसा की राजनीती और नीति दोनों सिरे से नकार रही है) इनकी परेशानियां इनकी बेचैनियों में बदलेंगी और बेचैनियाँ कुंठा में और कुंठा हिंसा में और हिंसा मारकाट में। 2016 में बंगाल-तमिलनाडु-केरल-असम में चुनाव हैं, फिर 2017 में पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड, गुजरात, यूपी, गोवा, मणिपुर में हैं, 2018 में छत्तीसगढ़, कर्नाटका, मध्यप्रदेश, राजस्थान, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा और नागालैंड में हैं। और फिर 2019 में लोकसभा।

अभी तो यह मुस्लिम्स और माइनॉरिटीज को आँखें दिखा के अपनी ताकत जताना चाहते हैं, परन्तु यह प्रयास सफल नहीं हुआ तो फिर हिन्दू धर्म के अंदर होगा। और जब बात हिन्दू धर्म के अंदर कलह की होगी तो क्या ड्रामे होंगे वो हरयाणा में अभी से ही इन द्वारा बना दिए गए हिन्दू जाट बनाम हिन्दू नॉन-जाट के माहौल से समझ लो।

हिन्दू धर्म में पहला महाविनाश ईशा पूर्व पहली सदी से ले ईसा पश्चात सातवीं सदी तक चला था, और फिर उसके बाद 1300 साल की गुलामी झेली देश ने। 1300 साल की आग अंदर लिए घूम रहे हैं यह लोग, अब हुआ तो पता नहीं कितना लम्बा खिंचेगा और पहले की तरह क्या-क्या खुशनसीबी या बदनसीबी ले के आएगा।

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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