दूनागिरि उत्तराखंड में है जहां से हनुमान सुमेरु पर्वत उठा के लंका ले गए थे| हवाई मार्ग का सीधा रुट निकालो तो उनका कानपुर के पश्चिम से होते हुए जाना हुआ होगा| कानपुर से अयोध्या 250 किलोमीटर पूर्व में है|
इसके दो ही मतलब हैं या तो हनुमान जी संजीवनी को समय पर पहुंचाने हेतु सीरियस नहीं थे और रुट से हट के 250 किलोमीटर लंबरूप अयोध्या हाय-हेलो करने पहुँच गए वो भी सुमेरु पर्वत उठाये-उठाये| क्योंकि रामायण का हर प्रारूप कहता है कि जब वो संजवीनी ले के लौटते समय अयोध्या के ऊपर से गुजरे तो भरत ने उनको कोई आकाशीय विपदा समझ के तीर मारा और वहीँ गिर पड़े| अब अयोध्या से चलाया हुआ तीर 250 किलोमीटर दूर कानपुर के ऊपर उड़ते हुए उनको आन लगा होगा, थोड़ा पचाना मुश्किल है; एक पल को पचा भी लो तो तीर लग के हनुमान जी का कानपुर में गिरने की बजाये अयोध्या जा के गिरना नहीं पचेगा|
या फिर दूसरा मतलब यह हो सकता है कि वो सीधे कानपुर के पश्चिम से ही निकले होंगे, जो कि रामायण का कोई भी प्रारूप नहीं कहता|
तो अब या तो यह एक और ऐसा तथ्य है जो रामायण को एक काल्पनिक ग्रन्थ साबित करता है अन्यथा हनुमान जी सीधे रुट को छोड़ के 250 किलोमीटर हट के क्यों उड़ेंगे, वो भी पर्वत उठाये हुए और ऐसी विपदा के वक्त जब एक-एक सेकंड लक्ष्मण के जीवन पर भारी बीत रहा था| ना ही तो वो खाली हाथ थे और ना ही पिकनिक मनाने निकले थे कि घूमते-घुमाते मुड़ गए अयोध्या को, है कि नहीं?
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
इसके दो ही मतलब हैं या तो हनुमान जी संजीवनी को समय पर पहुंचाने हेतु सीरियस नहीं थे और रुट से हट के 250 किलोमीटर लंबरूप अयोध्या हाय-हेलो करने पहुँच गए वो भी सुमेरु पर्वत उठाये-उठाये| क्योंकि रामायण का हर प्रारूप कहता है कि जब वो संजवीनी ले के लौटते समय अयोध्या के ऊपर से गुजरे तो भरत ने उनको कोई आकाशीय विपदा समझ के तीर मारा और वहीँ गिर पड़े| अब अयोध्या से चलाया हुआ तीर 250 किलोमीटर दूर कानपुर के ऊपर उड़ते हुए उनको आन लगा होगा, थोड़ा पचाना मुश्किल है; एक पल को पचा भी लो तो तीर लग के हनुमान जी का कानपुर में गिरने की बजाये अयोध्या जा के गिरना नहीं पचेगा|
या फिर दूसरा मतलब यह हो सकता है कि वो सीधे कानपुर के पश्चिम से ही निकले होंगे, जो कि रामायण का कोई भी प्रारूप नहीं कहता|
तो अब या तो यह एक और ऐसा तथ्य है जो रामायण को एक काल्पनिक ग्रन्थ साबित करता है अन्यथा हनुमान जी सीधे रुट को छोड़ के 250 किलोमीटर हट के क्यों उड़ेंगे, वो भी पर्वत उठाये हुए और ऐसी विपदा के वक्त जब एक-एक सेकंड लक्ष्मण के जीवन पर भारी बीत रहा था| ना ही तो वो खाली हाथ थे और ना ही पिकनिक मनाने निकले थे कि घूमते-घुमाते मुड़ गए अयोध्या को, है कि नहीं?
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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