Monday, 2 November 2015

मंडी-फंडी क्यों मीडिया के जरिये खापों को बदनाम करता है?

खापों में विद्यमान रूढ़िवादिता की वजह से? ...... जवाब है नहीं!

तो फिर खाप मान्यता के समाजों में होने वाले अपराधों की वजह से? ...... जवाब है नहीं, क्योंकि जो समाज हो गया वहाँ अपराध तो सास्वत सत्य है, हर एक में मिलेगा|

तो फिर क्या है यह लड़ाई?

यह लड़ाई है, मंडी-फंडी के फैलाये गैरजरूरी पैसा ऐंठने, बनाने और पाखंड फैलाने के गोरख धंधों से समाज को बचाने हेतु निर्भीक स्वछँदता वाली खापों की छवि और भूमिका से|

कल ही कालीरमण खाप ने हरयाणे के सबसे बड़े व् इस खाप के भी सबसे बड़े गाँव (हरयाणवी में नगरी) सिसाय में उनकी वर्षगांठ के उत्सव पर इस खाप के सारे 150 गाँवों में "काज" यानी मृत्युभोज आयोजित ना करने का आह्वान किया और इसके लिए जागरूकता अभियान चलाने का भी ऐलान किया है|

अब जो खाप समाज के बच्चे-युवा हैं वो इस फैसले का आपके अपने यानी खाप-मान्यता के समाज और मंडी-फंडी पर पड़ने वाले प्रभावों पर नजर डालिये:

मृत्युभोज नहीं होने से किस-किसको नुकसान पहले इस पर नजर डालिये:
1) मृत्युभोज नहीं होगा तो व्यापारी और दुकानदार की वो चीजें नहीं बिकेंगी जो मृत्युभोज पर चाहिए होती हैं|
2) मृत्युभोज नहीं होगा तो इसको बनाने वालों की पूछ नहीं होगी, हवन इत्यादि के जरिये पैसा और मुफ्त भोज छकने का अवसर नहीं मिलेगा| उनको इसके जरिये सामाजिक उपस्थिति में एक गैर-जरूरी आदरणीय सी रहने वाली सुविधा और अवसर नहीं मिलेगा|

मृत्युभोज नहीं होने से किस-किस को फायदा होगा:
1) रिश्तेदारियों के भाड़े-तेल के खर्चे बचेंगे|
2) मृत्युभोज परिवार व्यर्थ कर्जे या खर्चे से बच, उसको सही जगह उपयोग कर सकेगा|

अब इस पर मंडी-फंडी कैसे प्रतिक्रिया देता है:
1) 90% से ज्यादा इनके ही आधिपत्य वाले इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया हाउसों के जरिये खापों की छवि धूमिल करने हेतु, पारिवारिक स्तर पर होने वाली हॉनर किल्लिंग्स को खापों से जोड़ेगा|
2) खुद मंडी-फंडी लोगों के यहां सबसे ज्यादा कन्या भ्रूण हत्या व् सबसे कम लिंगानुपात होते हुए भी इसको खाप-मान्यता के समाज पर उड़ेलेगा|
3) खुद इनके संचालित संस्थानों और ठिकानों (धार्मिक हों या सामाजिक) पर नगण्य महिलाएं होते हुए भी खापों के चबूतरों पे औरतें ढूंढेगा, इनको रूढ़िवादी दिखायेगा|

अब यहां गायब क्या है?:
1) खापों द्वारा अपना खुद का मीडिया ना होना गायब है|
2) किसी भी खाप की अपनी मैगज़ीन या सर्वखाप का सामूहिक रूप से कोई अख़बार या टीवी चैनल गायब है|
3) खापों के लोग मंडी-फंडी की इन गैर-कानूनी हरकतों को कोर्टों में खींचने को ले के उदासीन हैं|
4) खापों द्वारा यह प्रचार करना कि हमारे यह फैसले हर सामान्य व् आमजन के घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाये रखने हेतु व् आमजन को समाज के दिखावे के प्रेशर से उसको मुक्त रखने हेतु होता है|

यह चीजें खापों की अपनी क्यों जरूरी हैं?:
1) ताकि मंडी-फंडी संचालित मीडिया को काउंटर किया जा सके| उसके प्रत्यारोपों का उसी की भाषा और लहजे में खंडन किया जा सके|
2) कल की कालीरमन खाप में हुए रेसोलुशन्स जैसे बिन्दुओं को हर सम्भव जन तक लिखित व् इलेक्ट्रॉनिक रूप में पहुँचाया जा सके| …... आदि-आदि!

क्या कभी देखा है मंडी-फंडी को इन चीजों का विरोध करते हुए? वो इसका विरोध क्यों नहीं करते, इसके क्या कारण हैं?

कारण सिर्फ एक है कि यही मंडी की दुकानदारी और फंडी की पेट-पूजा और सामाजिक मान पाने के जरिये हैं? तो फिर किसान वर्ग क्यों नहीं पाना चाहता यह सम्मान? क्योंकि किसान अन्न पैदा करके उससे आमजन का पेट भरने का कारण बनके पहले से ही यह सम्मान पा इससे संतुष्ट हुआ होता है| जबकि मंडी-फंडी ने अब तक यह हासिल नहीं किया हुआ होता, तो वह इन चीजों को जारी रखने के पक्ष में होता है| और इस तरह से जन्मा सम्मान बनावटी, दिखावटी, दुखदायक व् स्वार्थी होता है जो इंसान में दम्भ और उददंड होने की खाद भरता है|
तो मूलत: खाप एक ऐसी प्रणाली है जो आपातकाल में युद्धों के लिए यौद्धेय पैदा करने के साथ-साथ समाज की समुचित आर्थिक व्यवस्था के संतुलन को भी संभालती आई है, उसके बैलेंस को सुनिश्चित करती आई है| और गजब की बात तो इतिहास में यह रही है कि मंडी-फंडी का खापों द्वारा युद्धों के लिए यौद्धेय पैदा करने और बनाने पे कभी मतभेद नहीं रहा, रहा तो सिर्फ उनके येन-केन-प्राकेण वाले आर्थिक लाभ कमाने वाले हथकंडों पर खापों द्वारा लगाम लगाने पर|

इसलिए खाप मान्यता का युवा इस तथ्य को अच्छे से समझ ले कि मंडी-फंडी द्वारा खापों पे हमले आपके यहां से बुराई खत्म करने या कुछ सुधार लाने हेतु नहीं अपितु इनके आर्थिक हित साधने व् सुनिश्चित करने हेतु होते आये हैं| वर्ना समाज से बुराई दूर करने में इनकी जरा भी रुचि होती तो आज ना ही तो समाज में दलित होते, ना ही शूद्र, ना ही चार वर्ण, छत्तीस कौम और हजारों जातियां| ना ही छुआछूत होती, ना ही ढोंग और पाखंड होते| और कमाल की बात तो यह है कि यह चीजें इन्हीं की घड़ी हुई, बनाई हुई हैं; इनमें से खापों द्वारा बनाई एक भी चीज नहीं|

तो एक लाइन में निचोड़ सिर्फ इतना है कि मंडी-फंडी का मीडिया के द्वारा खाप पर हमला सिर्फ इनके आर्थिक हथकंडों का रास्ता साफ़ करना होता है|

अंत में कालीरमण खाप को उनके कल के रिज्योलुसनों की बधाइयाँ! आशा है कि खाप के रिज्योलुसनों का धरातल पर भी अच्छा आउटपुट दिखे|

कालीरमण खाप के कल के ऐतिहासिक फैसले की खबर का लिंक: Kaliraman khap tells villagers to shun feast on death of elderly - http://www.tribuneindia.com/news/haryana/kaliraman-khap-tells-villagers-to-shun-feast-on-death-of-elderly/153804.html

जय यौद्धेय! - फूल मलिक
 

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