Saturday, 7 November 2015

केवल सीमा पर गोली खाना या भगत सिंह की भांति फाँसी पर झूलना ही देशसेवा अथवा देशभक्ति नहीं होती, कहने वाले ध्यान देवें!

1) पान-गुटखा खा कर ना थूकना देश-सेवा नहीं, समाज को साफ़ रखना कहलाता है।

2) अमितशाह और आरएसएस जो करते हैं उसको राष्ट्रभक्ति नहीं, राजनीति कहते हैं। बेशक खुद भले ही अपने आपको सेल्फ-स्टाइल्ड राष्ट्रभक्त सौ-बार बताते रहें, परन्तु देशसेवा और राष्ट्रभक्ति के आप आसपास भी नहीं।

3) योगी आदित्यनाथ-साध्वी प्राची-बाबा रामदेव-साक्षी महाराज की केटेगरी तुम जो करते हो वो हिन्दुइज्म की सेवा नहीं। क्योंकि अगर तुम लोग वाकई में हिन्दुइज्म की सेवा करते तो हिन्दुइज्म से जाति और वर्ण व्यवस्था को समूल मिटाने पे काम करते। हिन्दुइज्म में सबके लिए बराबरी का मान और व्यवहार सुनिश्चित करके देखो, धर्म अपने आप सुरक्षित और पोषित हो जायेगा।

4) नरेंद्र मोदी जो आप करते हो उसको "जनता का प्रधान सेवक" तो नहीं, परन्तु हाँ "अम्बानी-अडानी का प्रधान सेवक" भले ही कहा जा सकता है।

इसलिए बात-बात पर इस देशभक्ति, राष्ट्रभक्ति और देशसेवा को हर इस उस ऐरी-गैरी चीज से जोड़ के इतना भी मत दिखाओ कि तुम्हारे यह दावे सुन-सुन के देश की सेना के जवानों को शक होने लगे कि अगर यह जो कह रहे हैं वही देशभक्ति है तो हम क्या झक मराते रहते हैं बॉर्डर पे दिन-रात।

शब्द और उसकी परिभाषा की भी अपनी गरिमा और मर्यादा होती है, उनका ऐसे बलात्कार करना छोड़ दो।

फूल मलिक

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