Sunday, 15 November 2015

गंगा गए गंगादास, जमुना गए जमुनादास!

शायद इसी को कहते हैं कि गंगा गए गंगादास, जमुना गए जमुनादास, ना गंगा मिली और ना रही जमुना की आस|

सत्ता में आते ही केंद्र से जाट आरक्षण रद्द किया, सिर्फ इसलिए कि इससे बिहार के यादव को यह कह के खुश कर लेंगे कि देखो जो तुम्हारी सबसे ज्यादा नौकरियां बँटवाते हमने उन जाटों को ओबीसी लिस्ट से बाहर कर दिया है| और ऐसे इनको यादव वोट मिल जाता| राव इंद्रजीत को वहाँ इसी बात को फैलाने के लिए ले जाने वाले थे, परन्तु राजनीति के "भाग़ड बिल्ले" लालू यादव के आगे इनकी एक ना चली| गंगा की आस सा यादव वोट भी गया और इधर जाट को रूष्ट करके उसके वापिस आने की जमुना रुपी आस खुद अपने ही हाथों खो ली|

सुगबुगाहट है कि बीजेपी और आरएसएस, हरयाणा को जाट बनाम नॉन-जाट का अखाड़ा बना के अब पछता रहे हैं| परन्तु इसका यकीन तब तक नहीं किया जा सकता जब तक राजकुमार सैनी और मनोहर लाल खट्टर जैसों के एंटी-जाट इरादों को यह पब्लिकली बंद नहीं करवाते|

सुनने में आ रहा है कि अब जाट लोस का डैमेज कंट्रोल करने के लिए नई कवर-अप स्ट्रेटेजी आने वाली है, जिसका टैग होगा कि बीजेपी और आरएसएस ब्राह्मण-बनिया-अरोड़ा+खत्री के साथ-साथ राजपूत और जाट को जनरल में रख के देश की सबसे सक्षम और बड़ी कौमों को एक रखना चाहती थी इसलिए जाट का आरक्षण रद्द करके उनको ओबीसी नहीं बनने दिया|

खैर जो भी होने वाला है फ़िलहाल जिस तरीके से हरयाणा में इनके नुमाइंदे दिन-प्रतिदिन जाट समाज पर जहर उगलने में मसगूल हैं, उससे नहीं लगता कि जल्दी ही इसपे कुछ एक्शन दिखेगा| जाटों की नाराजगी का आलम इतना बढ़ चूका है कि आरक्षण रद्द होने से जो नाराजगी पूरे भारत के जाट की बढ़ी थी उसमें इधर हरयाणा में इनके नुमाईन्दों द्वारा जाट बनाम नॉन-जाट के खड़े किये अखाड़े के चलते और इजाफा होता जा रहा है और इसको ले के पश्चिमी यूपी और पंजाब तक का जाट भी इनसे क्रुद्ध और उबलता देखा जा रहा है|

तो क्या ऐसे में पंजाब और यूपी के 2017 में आने वाले चुनावों के वक्त कुछ ऐसा ही सगूफा फेंका जाने वाला है जिसकी सुगबुगाहट सुनी गई है?

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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