Sunday, 15 November 2015

Natthuram versus Yakub

जब कुछ लोग याकूब मेमन की funeral को attend कर रहे थे तो उसी वक्त कुछ अवसरवादी व तथाकथित देशभक्त लोग भोंक रहे थे कि इन लोगों को पाकिस्तान भेज दिया जाना चाहिए| इस पर उनका तर्क था कि इन लोगों को भारत की न्यायप्रणाली पर विश्वास नहीं है| यानि कि जिस आदमीं को हमारी न्याय-प्रणाली ने आतंकवादी करार देकर फांसी दे दी हो, उससे कैसी हमदर्दी? ........आदि-आदि!

पर पिछले दो-तीन दिन से वही लोग उसी नयाय-प्रणाली को मजाक बना नाथूराम गोंडसे को माँ भारती का पुत्र व देशभक्त कहते-गाते फिर रहे हैं| .........

क्या इन तथाकथित देशभक्तों के लिए किसी दूसरे देश (क्योंकि पाकिस्तान तो यह इनके उधर साइड वालों को भेजते हैं, तो खुद क्या जायेंगे वहाँ) के visa का प्रबंध भी है या नहीं .......... क्योंकि नत्थूराम गोडसे को भी हमारी न्यायप्रणाली ने ही देशद्रोही ठहराते हुए फांसी दी थी|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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