Wednesday, 2 December 2015

माइग्रेटेड सभ्यताओं को अंगीकार करते-करते खुद हरयाणवी सभ्यता बनी एक चरागाह!

अगर अब भी हरयाणवी जनमानुष ने जाट बनाम नॉन-जाट के अखाड़ों से निकल के इसकी सुध नहीं ली तो वो दिन दूर नहीं जब हरयाणवी के नाम पर उज्जड़-बियाबान के सिवाय कुछ नहीं मिलेगा|

जाट से नफरत करते हो करो, परन्तु हरयाणवी तो तुम भी हो कि नहीं?...
जाट से नफरत करते हो करो, परन्तु हरयाणा के नेटिव घरानों में तो तुम भी पैदा हुए हो कि नहीं?
जाट से नफरत करनी है करो, परन्तु हरयाणवी और हरयाणा की एथिकल आइडेंटिटी पर सवाल उठाने वाले खटटरों को जवाब देना तो तुम्हारा भी बनता है कि नहीं?
जाट से नफरत करनी है करो, परन्तु हरयाणा की हरयाणवी बोली तो तुम भी बोलते हो कि नहीं?
जाट से नफरत करनी है करो, परन्तु हरयाणवी बाणा तो तुम भी पहनते हो कि नहीं?
जाट से नफरत करते हो करो, परन्तु हरयाणा से बाहर दूसरी स्टेट में जा के खुद को हरयाणा का बोलते हो कि नहीं?
जाट से नफरत करनी है तो करो, परन्तु हरयाणा से बाहर हरयाणवी कहलाते हो कि नहीं? तुम छुपाना भी चाहते होगे परन्तु क्या तुम्हारे हाव-भाव तुम्हारे हरयाणवीपने को छुपने देते हैं?


तो आखिर कब वो दिन आएगा जब हम इस जाट बनाम नॉन-जाट के दंगल से बाहर निकल के अपनी हरयाणवीपने की पहचान को कायम रखने हेतु एक दिशा में सोचेंगे?

यह जो माइग्रेटेड हो के आ रहे हैं, यह तो हमारी सभ्यता और संस्कृति को नहीं संजोएंगे, तीन-चार पीढ़ियां भी यहां निकाल लेंगे तो भी नहीं| नहीं यकीन होता मेरा तो मनोहरलाल खट्टर ने हर्याणवियों को लेकर क्या ब्यान दिया वो तो पढ़ा-सुना-समझा होगा? अत: इससे साबित है कि इनके लिए कितने ही अपने संसाधन बंटवा लेना, रोजगार बंटवा लेना परन्तु अंत में तुम्हारी सभ्यता को तो संभालना तुम्हें ही होगा| वो नहीं संभालेंगे जो देश के बॉर्डर पार से आये हों या राज्यपार से|

क्या जाट से नफरत करने के चक्कर में या एक पल को अगर इसको मिटाना भी चाहते हो तो इसको मिटाने के चक्कर में अपनी खुद की एथिकल पहचान तक को मिटा दोगे? हरयाणवी माँ तुम्हारे मुंह को तांक रही है, सुध ले लो इसकी| वरना माँ ही नहीं रही तो अनाथ घूमोगे, बिना पते के पत्र की भांति| हमें जगाना होगा अपने आपको, अपने जनमानस, हमें जगाना होगा ताकि हमारी सभ्यता चरागाह ना बन जाए|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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