Sunday, 20 December 2015

आगरा-जयपुर देखो या ना देखो, परन्तु भरतपुर जरूर देख के आया करो!

1) देख के आया करो कि वो किला कैसा है जिसकी दीवारों पर खड़े होकर जाटों ने 1804 में अंग्रेजों को 1-2 नहीं अपितु 13 बार धूल चटाई थी। पृथ्वी-गौरी की मात्र 2 लड़ाईयों की कहानी को 17 लड़ाईयों की गपेड बना के परोसने वालों को आखिर सच्चाई से इतना परहेज क्यों, यह समझ के आया करो।

2) देख के आया करो 1761 में जिनको हराने हेतु पानीपत के मैदान में मराठे-होल्कर-बुंदेले हार गए थे, उनको हराने वाले भारतेंदु जवाहर सिंह और उनकी सेना किस मिट्टी की बनी थी।

3) देख के आया करो कि पानीपत के युद्ध में दिल्ली को जीतकर मुग़लों को देने वाले महाराष्ट्री पेशवाओं की इस बात का विरोध करने वाले वो सूरज सुजान कौनसे महलों में जन्में थे। कहाँ से उन्होंने वो करुणा पाई थी कि मुग़लों से ही छीन मुग़लों को ही दिल्ली देने की मंशा रखने वाले उन पेशवाई सैनिकों की मरहमपट्टी करी।

आज के दिन आपके टूरिज्म के पैसे की उस भरतपुर को ज्यादा आवश्यकता है बजाये किन्हीं हारे हुए स्मारकों में जा के पहले से ही धनवान को और धन दे के आने के।

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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