क्या यह जाटों की थ्योरी और फिलोसोफी रही हैं इसलिए वरना हैं तो यह भी हिन्दू ही?
अब पृथ्वीराज चौहान के हारते ही थोड़े ही आखिरी हार हो गई थी हिन्दुओं की? चार लड़ाइयां तो अकेले मुहम्मद गौरी के उत्तराधिकारी से सर्वखाप ने लड़ी थी|
पहली लड़ाई कुतबुद्दीन ऐबक के 1206 में दिल्ली की गद्दी पे बैठते ही दिपालपुर रियासत के राजा जाटवान जी महाराज (मलिक गठवाला गोती जाट) ने ऐबक को पूरे तीन साल तक नचाये रखा, जब तक वह महान् जाट योद्धा लड़ाई में शहीद नहीं हो गये।
दूसरी लड़ाई में सर्वखाप पंचायत हरयाणा की सेना ने वीर यौद्धेय विजयराव ‘बालियान’ की अगुवाई में ऐबक की सेना को उत्तर प्रदेश के भाजु और भनेड़ा के जंगलों में पछाड़ा|
तीसरी लड़ाई में वीर यौद्धेय भीमदेव राठी की कमान में बड़ौत के मैदान में ऐबक को पीटा|
चौथी लड़ाई में वीर यौद्धेय हरिराय राणा की कमान में दिल्ली के पास टीकरी (आज का हरयाणा-दिल्ली बॉर्डर) में भागने के लिए मजबूर किया।
और यह तो सिर्फ कुतुबुद्दीन ऐबक की सर्वखाप हरयाणा ने क्या दुर्दशा की थी उसका अध्याय है, मुंहमद तुगलक भी जिस तैमूर लंगड़े के आगे हथियार डाल गया था, उसको कैसे पीट-पीट के खदेड़ा था उसका अध्याय तो अपने आप में खापों के "भारतीय स्पार्टन" होने का बखान करता है| आगे का "गॉड गोकुला" का चैप्टर और ऐसे ही दर्जनों अध्याय उठा दूँ तो रोंगटे खड़े हो जाएँ|
क्या मतलब इन आरएसएस या विहिप वालों को कोई लोचा है क्या जाट के साथ? क्या कभी देखे हैं यह अध्याय आरएसएस के "पंचजन्य" में छपे आजतक? और नहीं तो क्यों नहीं?
आखिरकार क्यों पृथ्वीराज को आखिरी हिन्दू सम्राट और गुरु तेग बहादुर को पहला हिन्दू धर्म रक्षक ठहराते हैं यह लोग? यह पृथ्वीराज और गुरु तेगबहादुर के बीच हरयाणा सर्वखाप के बैनर तले विभिन्न समयों पर दी कुर्बानियों को कब कुर्बानियां मानेंगे यह लोग?
क्या वाकई में यह लोग जाटों से इतनी नफरत करते हैं और दोहरा रवैया अपनाते हैं? इनको मुस्लिमों से बचाने के लिए चाहियें तो जाट और हिन्दू वीरों के गान के नाम पे उठाये फिरते हैं या तो पौराणिक किरदारों को या फिर हारे हुए राजाओं को|
शायद यह लोग असली वीर को वीर कहने और लिखने की कभी हिम्मत नहीं पैदा कर पाये, इसीलिए देश गुलामियों पे गुलामियाँ झेलता गया| तब तो तब आज भी इनकी यही लकीर है, कुछ नहीं सीखा इन लोगों ने गुलामी के दौर से| आज के दिन मोदी के अधिनायकवाद महिमामंडन पर मशहूर उद्योगपति रत्न टाटा की वो टिप्पणी बिलकुल सही है कि अगर ऐसे ही थोथे देशभक्ति के माहौल खड़े किये जाते रहे तो देश फिर से गुलाम हो जायेगा|
और कोई नहीं तो क्या अंधभक्त बने और आरएसएस के कच्छे पहने हुए आज के कुछ बावले जाट ले पाएंगे इन लोगों से इन बातों का जवाब?
सोर्स पुस्तक - ‘सर्व खाप पंचायत का राष्ट्रीय पराक्रम’ व ‘भारतीय इतिहास का-एक अध्ययन’, जाट इतिहास
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
अब पृथ्वीराज चौहान के हारते ही थोड़े ही आखिरी हार हो गई थी हिन्दुओं की? चार लड़ाइयां तो अकेले मुहम्मद गौरी के उत्तराधिकारी से सर्वखाप ने लड़ी थी|
पहली लड़ाई कुतबुद्दीन ऐबक के 1206 में दिल्ली की गद्दी पे बैठते ही दिपालपुर रियासत के राजा जाटवान जी महाराज (मलिक गठवाला गोती जाट) ने ऐबक को पूरे तीन साल तक नचाये रखा, जब तक वह महान् जाट योद्धा लड़ाई में शहीद नहीं हो गये।
दूसरी लड़ाई में सर्वखाप पंचायत हरयाणा की सेना ने वीर यौद्धेय विजयराव ‘बालियान’ की अगुवाई में ऐबक की सेना को उत्तर प्रदेश के भाजु और भनेड़ा के जंगलों में पछाड़ा|
तीसरी लड़ाई में वीर यौद्धेय भीमदेव राठी की कमान में बड़ौत के मैदान में ऐबक को पीटा|
चौथी लड़ाई में वीर यौद्धेय हरिराय राणा की कमान में दिल्ली के पास टीकरी (आज का हरयाणा-दिल्ली बॉर्डर) में भागने के लिए मजबूर किया।
और यह तो सिर्फ कुतुबुद्दीन ऐबक की सर्वखाप हरयाणा ने क्या दुर्दशा की थी उसका अध्याय है, मुंहमद तुगलक भी जिस तैमूर लंगड़े के आगे हथियार डाल गया था, उसको कैसे पीट-पीट के खदेड़ा था उसका अध्याय तो अपने आप में खापों के "भारतीय स्पार्टन" होने का बखान करता है| आगे का "गॉड गोकुला" का चैप्टर और ऐसे ही दर्जनों अध्याय उठा दूँ तो रोंगटे खड़े हो जाएँ|
क्या मतलब इन आरएसएस या विहिप वालों को कोई लोचा है क्या जाट के साथ? क्या कभी देखे हैं यह अध्याय आरएसएस के "पंचजन्य" में छपे आजतक? और नहीं तो क्यों नहीं?
आखिरकार क्यों पृथ्वीराज को आखिरी हिन्दू सम्राट और गुरु तेग बहादुर को पहला हिन्दू धर्म रक्षक ठहराते हैं यह लोग? यह पृथ्वीराज और गुरु तेगबहादुर के बीच हरयाणा सर्वखाप के बैनर तले विभिन्न समयों पर दी कुर्बानियों को कब कुर्बानियां मानेंगे यह लोग?
क्या वाकई में यह लोग जाटों से इतनी नफरत करते हैं और दोहरा रवैया अपनाते हैं? इनको मुस्लिमों से बचाने के लिए चाहियें तो जाट और हिन्दू वीरों के गान के नाम पे उठाये फिरते हैं या तो पौराणिक किरदारों को या फिर हारे हुए राजाओं को|
शायद यह लोग असली वीर को वीर कहने और लिखने की कभी हिम्मत नहीं पैदा कर पाये, इसीलिए देश गुलामियों पे गुलामियाँ झेलता गया| तब तो तब आज भी इनकी यही लकीर है, कुछ नहीं सीखा इन लोगों ने गुलामी के दौर से| आज के दिन मोदी के अधिनायकवाद महिमामंडन पर मशहूर उद्योगपति रत्न टाटा की वो टिप्पणी बिलकुल सही है कि अगर ऐसे ही थोथे देशभक्ति के माहौल खड़े किये जाते रहे तो देश फिर से गुलाम हो जायेगा|
और कोई नहीं तो क्या अंधभक्त बने और आरएसएस के कच्छे पहने हुए आज के कुछ बावले जाट ले पाएंगे इन लोगों से इन बातों का जवाब?
सोर्स पुस्तक - ‘सर्व खाप पंचायत का राष्ट्रीय पराक्रम’ व ‘भारतीय इतिहास का-एक अध्ययन’, जाट इतिहास
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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