Thursday, 14 January 2016

बन जाओ फ़ौज भी तुम ही, बोल दूंगा तुम्हें राष्ट्रभक्त!

मैंने एक कथित सनातनी कट्टर राष्ट्रवादी से पूछा कि भाई तुम लोग मुस्लिम पाकिस्तानी कट्टरवादियों की भांति जैसे वो भारत में घुस के हमारे लोगों को मारते हैं, ठीक ऐसे ही तुम लोग क्यों नहीं घुसते पाकिस्तान में?
महाशय बड़ा घुन्ना व् सदियों का रटा-रटाया तर्क लिए, चले आते हुए फरमाने लगा कि सनातन धर्म की रीत रही है कि हमने शांति से जीना सीखा है और देश की सीमा से बाहर आक्रमण करना हमारी रीत नहीं रही|

मखा चोखा ओ पहाड़ी बुच्छी, देश की सीमा से बाहर जा के तुम्हें आक्रमण करने नहीं और देश के अंदर किसी को चैन से रहने देना नहीं| वैसे भी वर्ण और जाति व्यवस्था से ही तुम्हारा मन जो भर जाता है समाजों में उथल-पुथल मचाये रखने का| और फिर तुम्हारी इस नीति को भारत से बाहर कोई झेलेगा भी नहीं, इसलिए बहाना अच्छा है कि हम शांतिप्रिय और देश की सीमा से बाहर आक्रमण करने वालों में नहीं है|

शायद तुम्हारी इसी शांतिप्रियता का ही तो नतीजा है कि ईरान से ले के कम्बोडिया तक कभी एक बताये जाने वाला यह भू-भाग आज वर्तमान भारत के रूप में सिकुड़ के रह गया| चीन-जापान तक जिस बुद्ध ने भारत का झंडा फहराया उसको तुमने भारत से उखाड़ फेंकने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी| अच्छा मजाक है शांतिप्रिय और देश की सीमा के भीतर|

अनोखे लोग हैं यह, जो धर्मभक्ति को ही देशभक्ति मनवाने पे तुले हैं| यह तो वो धक्के की माँ वाली हो रखी है कि एक बहुत ही बिगड़ैल भाभी थी, जिद्द पे अड़ गई और देवर से बोली कि मुझे माँ बोल| देवर बोला भाभी माँ| तो वो बोली कि नहीं सिर्फ माँ बोल| वो बोला कि सिर्फ माँ कैसे बोलूं? वो बोली कि ले मैं बुलवा के दिखाती हूँ| करके के त्रियाचरित्र, लगा के देवर पे छेड़खानी का आरोप और डलवा दिया जेल में| थाने में जा के बोली कि अब भी वक्त है बोल दे माँ| बोला कि नहीं| फिर पड़े पुलिस के डंडे और हुआ दर्द तो बेचारा लाचार हो के चिल्लाया "हाय रे धक्के की माँ"! यही कुछ इन तथाकथित राष्ट्रवादियों के साथ हो रखी है कि बोलो हमें राष्ट्रभक्त| धंधा धर्म का करते हैं, टैग इनको राष्ट्रभक्ति का चाहिए, तो देश की फ़ौज क्या भाड़ फोड़ने के लिए है? बन जाओ फ़ौज भी तुम ही, बोल दूंगा तुम्हें राष्ट्रभक्त|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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