Thursday, 14 January 2016

जाट को अपने ऊपर से धार्मिक नहीं होने का टैग हटवाना होगा!

अक्सर सोचा करता हूँ कि जिस जाट और सहयोगी जातियों के यहां परम्परा रही कि जब भी नया गाँव-नगर-नगरी बसाई तो सबसे पहले उसका "दादा खेड़ा" पूजन किया गया| यानी उस बसासत की मिटटी और सर्वप्रथम पुरखों को देवता माना गया| तो फिर भला वास्तव में हुए भगवानों को पूजने वाले जाट अधार्मिक कैसे हो जाते हैं?

मेरे विचार से यह काल्पनिक भगवानों को पुजवाने वालों का फैलाया हुआ चोंचला है जिनको चाहिए कि जाट और सहयोगी जातियों का अपने वास्तविक भगवान "दादा खेड़ा जी" से ध्यान हटे और इनकी उल-जुलूल कोरी काल्पनिकताओं की परिकल्पनाओं को ढोता रहे|

मैं यहां यह बात कहते हुए इतना भी संवेदनशील हूँ कि किसी की काल्पनिकता को भी समाज में स्थान मिले, पहचान मिले परन्तु इस स्तर की नहीं कि वो भगवान बना के समाज में जड़ता पैदा करने लगे| उदाहरण के तौर पर डिज्नीलैंड| अब डिज्नीलैंड को कल को भगवान बना के पुजवाने लगे तो क्या यह व्यवहारिक है? हाँ उस काल्पनिकता को सम्मान देते हुए उसके एम्यूजमेंट पार्क बना दो, परन्तु कृपया करके उसको भगवान मानने की गलती मत करो|

बस यही छोटा सा खेल है सारा जाट और सहयोगी जातियों को विचलित किये रखने का, उसको बिचलाये रखने का| अब क्योंकि वास्तविकता को सबसे ज्यादा पूजने वाली जाति जाट है तो यह सबसे पहले अधार्मिक होने का ठीकरा जाट पे फोड़ते हैं, ताकि इससे अन्य जातियों में यह संदेश जाए कि देखो जाट तो अधार्मिक है या जब जाट ही अधार्मिक है तो फिर तुम किधर जाओगे| और उस जाने के चककर में समाज हो लेता है इनके पीछे|

"दादा खेड़ा" भगवान की थ्योरी समाज में फैलो (fellow) बनाने की है जबकि इनकी थ्योरी सिर्फ और सिर्फ फोल्लोवेर (follower) बनाने की| "दादा खेड़ा" पे कभी कोई पुजारी नहीं बैठाया गया और ना ही मूर्ती रखी गई क्योंकि यह स्थल पूरे गाँव-नगर-नगरी की नींव का प्रथम स्मारक स्थल होता है| जबकि इनके यहां सब तामझाम चाहियें, क्योंकि इनको फोल्लोवेर (follower) जो बनाने होते हैं| जबकि "दादा खेड़ा" की भक्ति उन्मुक्त होती है, जाओ पुरखों को शीश नवाओ, उस स्थल की साफ़-सफाई सुनिश्चित करो और हो गया|

बस यही मूल है जिसको जाट को बचाना होगा| अन्य समाज आपके साथ है और रहा है, परन्तु तब तक जब तक आपने अपनी राह नहीं छोड़ी| 'फैलो' बनाने की राह है जाट की 'फोल्लोवेर्स' बनाने की नहीं|

ताकि फोल्लोवेर्स बनाने वालों का प्रभाव ज्यादा ना बढ़ पाये, इसलिए जाट को जरूरी है कि उसके और सहयोगी जातियों के इतिहास में जो ऐतिहासिक हुतात्मा और युगपुरुष हुए हैं उनकी जीवनियों पर गाथाएं बनवा के उनका प्रचार करे|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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