Saturday, 16 January 2016

चढ़ गई धाड़ जाट की, गूँज उठा ललकारा!

1620 में दादा चौधरी बिछाराम गठ्वाला, डबरपुर के नेतृत्व में सर्वखाप ने अपनी लाड़ली समाकौर की आन हेतु जब कलानौर रियासत तोड़ के कौला पूजन की प्रथा समाप्त करवाई तो उस वक्त यह सूक्ति बहुत मशहूर हुई थी:

कुंडू चढ़ गया, सांगवान बंध गया,
पाला मलिक सिरोही, सहरावत चढ़े नरवल लठवाला,
चढ़ गई धाड़ जाट की, गूँज उठा ललकारा!
ढोला चढ़ गया मालका गैल, माँझु और गठ्वाला!


पुस्तक: जाट इतिहास - समकालीन संदर्भ,
लेखक: श्री प्रताप सिंह शास्त्री, पत्रकार

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

No comments: