1620 में दादा चौधरी बिछाराम गठ्वाला, डबरपुर के नेतृत्व में सर्वखाप ने
अपनी लाड़ली समाकौर की आन हेतु जब कलानौर रियासत तोड़ के कौला पूजन की प्रथा
समाप्त करवाई तो उस वक्त यह सूक्ति बहुत मशहूर हुई थी:
कुंडू चढ़ गया, सांगवान बंध गया,
पाला मलिक सिरोही, सहरावत चढ़े नरवल लठवाला,
चढ़ गई धाड़ जाट की, गूँज उठा ललकारा!
ढोला चढ़ गया मालका गैल, माँझु और गठ्वाला!
कुंडू चढ़ गया, सांगवान बंध गया,
पाला मलिक सिरोही, सहरावत चढ़े नरवल लठवाला,
चढ़ गई धाड़ जाट की, गूँज उठा ललकारा!
ढोला चढ़ गया मालका गैल, माँझु और गठ्वाला!
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