Wednesday, 10 February 2016

अरे क्यों कबूतर की तरह आँखें मूंदे समाज को बरगला रहे राजकुमार सैनी?

राजकुमार सैनी के अभी-अभी ताजा-ताजा आये प्रेसनोट में राजकुमार सैनी से मेरे सवाल-जवाब|

1. जाति बिशेष के लोगो के दबाब में आकर अपने राजनैतिक स्वार्थ को साधने के लिऐ हमेशा ही पिछड़ा वर्ग के अधिकारो से खिलवाड़ किया। - राजकुमार सैनी

मेरा सवाल-जवाब: आपके अधिकारों से खिलवाड़ तो पिछले 68 सालों से वो लोग कर रहे हैं जिनसे आप आज तक भी अपनी संख्या के अनुपात में आरक्षण नहीं ले पाये। जो पिछड़े वर्ग का बैकलॉग खाते हैं। आपको कौन समझदार, पिछड़ों का हितैषी कह देगा, जबकि आपको यह ही नहीं दीखता कि पिछड़ों का हक कौन खाए जा रहा है?

2. कभी राजधानी बंद, कभी हरियाणा बंद की धमकियां देने वालो को तिहाड़ जेल में बंद करो। बंद के नाम पर भय का महौल बनाने वाले इन दबंगो को तिहाड़ में बंद कर देना चाहीए। इन लोगो से निपटने के लिऐ सरकार भी अपना काम करेगी और पिछड़ा वर्ग 35 बिरादरी के लोग इनको मंहतोड जबाब देगें। - राजकुमार सैनी

मेरा सवाल-जवाब:
a) क्या हुआ आप तो पिछड़ा ब्रिगेड ले के मैदान में उतरने वाले थे? जाटों ने हरयाणा जाम करने भर का क्या कहा कि अब उनको तिहाड़ भिजवाने लगे? जब कोई साथ है ही नहीं तो क्यों समाज को बरगला रहे हो? इससे साबित होता है कि कोई पिछड़ा ब्रिगेड नहीं बन पाई आपसे, वर्ना मैदान में आते। सच भी है ऐसे समाज को सिर्फ नरफत के आधार पे बिखराने वाले का साथ भी कौन देगा, खुद पिछड़ा भी इतना तो समझदार है।
b)और कौनसी 35 बिरादरी श्रीमान? बिश्नोई-त्यागी-रोड़-जाट सिख-जाट मुस्लिम और आधे से ज्यादा दलित भाईयों तक का जाटों को समर्थन हासिल है। दलितों के कई गाँव तो ऐसे हैं जो गाँव-के-गाँव जाटों के समर्थन में आन खड़े हुए हैं। कर लो बात, खामखा मोदी का चेल्ला बन फेंकते घूम रहे हैं।
c) और बंद पे तो रोहित वेमुला को न्याय दिलवाने बारे पूरे देश का पिछड़ा भी सड़कों पे उतरा हुआ है, क्यों नहीं उनकी भी बोलती बंद करवा देते? स्पष्ट है आपको मंडी-फंडी ने जाटों के खिलाफ जहर उगलने मात्र को पठाया हुआ है|

3. पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस ने झुठ के आधार पर जाटो को ओबीसी में शामिल किया| - राजकुमार सैनी

मेरा सवाल-जवाब: कांग्रेस और हुड्डा जी ने तो ब्राह्मण-बनिया-अरोड़ा-खत्री-राजपूत को भी स्पेशल क्लास बना के आरक्षण दिया था? इतना ही नकली और झूठ के आधार पे था तो अब तक जारी क्यों है वो स्टेट में? इससे साफ़ स्पष्ट है कि आपका एजेंडा न्याय की बात करना नहीं सिर्फ नफरत का जहर फैलाना है, वर्ना हरयाणा में तो और भी दबंगों को आरक्षण मिला हुआ है, उनका खत्म करवाने या उनको मिलने पे तो एक शब्द भी नहीं निकलता आपके मुंह से?

4. पिछड़ा वर्ग अब अपने हको और हक्कुक की लड़ाई लडने मे सक्ष्म व परी तरहं एकजुट है। हितो से खिलवाड़ करने वालो को करारा जबाब दिया जाऐगा। - राजकुमार सैनी

मेरा सवाल-जवाब: जी सैनी साहब निसंदेह आपको हक-हकूक की लड़ाई लड़नी चाहिए| चलिए मैं भी आपका साथ देने आता हूँ, उठाइये पिछड़ों के इन मुद्दों पर आवाज:
a) रोहित वेमुला बारे पूरे देश का पिछड़ा सड़कों पर है बीजेपी और आरएसएस के खिलाफ; चलिए आईये आप भी और मैं भी आता हूँ आपका साथ देने।
b) लालू यादव महीनों से चिल्ला रहे हैं कि जातिगत आंकड़े सार्वजनकि कर, पिछड़ों-दलितों की जनसंख्या सही-सही बताओ। चलिए आईये आप भी और मैं भी आता हूँ आपका साथ देने इस मुद्दे पर।
c) 68 साल से पिछड़ों को अपनी जनसंख्या के अनुपात का आधा ही आरक्षण मिल पाया है, चलिए आईये उठाइये संख्या के अनुपात में आरक्षण दिलवाने बारे आवाज और मैं भी आता हूँ आपका साथ देने।
d) 68 साल से मंडी-फंडी आपके वर्ग के आरक्षण का बैकलॉग खाए जा रहे हैं; चलिए आईये इस पर आवाज उठाते हैं, और मैं भी आता हूँ आपका साथ देने।

तोड़ की बात तो यह है सैनी साहब, पिछड़ा वर्ग को जाट से नहीं इन मंडी-फंडी रुपी बिल्लियों से बचाओ, जिनकी तरफ से आप कबूतर की तरह आँखें मूँद, 'कुम्हार की कुम्हारी पे तो पार बसावे ना, जा के गधी के कान मरोड़े" वाली तर्ज पे जाटों की तरफ मुंह किये हुए हो।

आप क्या समझते हो कि आज का पिछड़ा इतना पिछड़ा है जो यह भी नहीं समझेगा कि आप बोल कौनसी कूण में रहे हो? सब जानते हैं कि सिर्फ मंडी-फंडी की कठपुतली बने कूक रहे हो। खुद सैनी समाज के मेरे जितने मित्र हैं, वो ही आपसे असहमति जताते हैं।

क्या होगा कोई आप जैस मूर्ख आदमी, जिसको इतना भी भान नहीं है कि इन मंडी-फंडी का एजेंट बन भोंकने से आप जाटों का नहीं अपितु पिछड़ों का ही नुकसान कर रहे हो? क्योंकि जिस वक्त आपको "संख्या के अनुपात में आरक्षण", "बैकलॉग के मुद्दों" पे जहां आवाज उठानी चाहिए थी, उस वक्त आप जाटों के खिलाफ बोल उनको एक होने की जरूरत का कारण दिए जा रहे हो? अब भी सुधर जाओ जनाब, वर्ना पिछड़े ही आपको गाली दिया करेंगे, कि जब सत्ता दी थी तो सारा टाइम मंडी-फंडी की पीपनी बन के बजने में गँवा दिया। कुछ नहीं किया-धरा पिछड़ों के लिए। उलझाये रखा जाटों से नफरत करना सिखाने में।

वैसे जाट को लोग खाम्खा दबंग कहने पे तुले रहते हैं! बताओ जाटों से संयम वाला मिलेगा कोई, जो इन जनाब के लगातार एक साल से ज्यादा समय से हो रहे हमलों पर भी शान्ति खींचे हुए है। शायद जाट जानता है कि उनके ऊपर हरयाणा प्रदेश की शांति का भार है, इसके अभिमान और स्वाभिमान का भार है। सैनी साहब आप सिर्फ पिछड़ों का ही भार ढंग से उठा लीजिये, जाट कहीं ना आपकी 'झोटी खोलने को मरे जा रहे!'

विशेष: हालाँकि मैं भी कोशिश कर रहा हूँ, फिर भी इस नोट को राजकुमार सैनी तक पहुंचाने वाले का धन्यवाद!

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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