Friday, 26 February 2016

आओ यौद्धेयो, तुम्हें सुनाएँ वीरता जाट-महान की!

आओ यौद्धेयो, तुम्हें सुनाएँ वीरता जाट-महान की,
एक मोर्चे गुंडों की ब्रिगेड, दूसरे पे पुलिस-फ़ौज जवान थी!

तीसरा मोर्चा आंदोलन संभाले, चौथा आगजनी के फाले निकाले,
जाटों ने खूब नचा-नचा के, मंडी-फंडी गिरोह पस्त-थका डाले!

आंदोलन से बढ़के यह रणभेरी दुश्मन ने जाट पे टेरी थी,
बेईमान-उघाडों के जबड़ों पे जाट ने भी घुसंड जोर की धरदेरी थी!

लूट मचाने उत-लफंगे, चढ़-चढ करते रहे दंगे,
जाट टस से मस ना हुए, लाठी-गोली और चले डंडे!

कहीं किसी की ब्रिगेड थी तो कहीं थे कच्छों के फंडे,
देख के लच्छन जब जाट चढ़ा तो कर दिए सबके होश ठंडे!

सेंटर की बुड्ढी सी मार दी, दिल्ली की रोक पानी की धार दी,
तब जा के खट्टर से सेंटर में राजनाथ ने हरयाणे की पतवार ली!

वेस्ट यूपी में जब गया करंट, अक म्हारे भइयां पै आजमा रे स्टंट!
ठा चक्का जाम यूपी का बिठा के, चौधरियों ने थमा दिए वारंट!

आग ठंडी एक पड़ी थी, पर आगे एंटी-जाट मीडिया की फ़ौज खड़ी थी,
दिनरात सियार कूकते रहे, जाटों की शाख पे फेरन को बजरी-रोड़ी सी!

तीन दिन कांच के बल होए रहे, गैंगरेप जाट ने करे झूठी बात बिगोये रहे,
इनके पज्ज पाड़ने को जाटों के बालक भी सोशल-मीडिया आर्मी बन डटे रहे!

'फुल्ले भगत' न्यू बता गया, हर जाट के छोरे नैं दादा छोटूराम पा गया,
जाट्टां कै दुश्मन पिराण में आ गया, इब हो ज्या कौम का उजला आग्गा!

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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