यह देखो जो खुद को सबसे
अगड़े/सवर्ण बोलते हैं वो सबसे ज्यादा इस बीमारी से ग्रस्त हैं; यह देख
लीजिये सबूत, नीचे सलंगित स्क्रीनशॉट्स में।
अब इनसे उत्साह और प्रेरणा पाकर मैं सच्चाई तो कह सकता हूँ ना कि साक्षी मलिक और पी.वी. सिंधु ही नहीं बल्कि इन दोनों के कोच क्रमश: कुलदीप मलिक जी / ईश्वर दहिया जी व् पुलेला गोपीचंद जी; पूरी टीम ही जाट है। साक्ष्य और तथ्य मैं पहले की पोस्टों में दे ही चुका। यार एक बात बताओ जब बहन पी.वी. सिंधु के ऑफिसियल फिजियो से सीधे-सीधे यह बातें कन्फर्म हो के आ चुकी हैं कि पीवी सिंधु और गोपीचंद पुलेला जी दोनों जाट (तेलुगु में कम्मा) हैं तो फिर कन्फ्यूजन कैसा?
खैर, बात इन दोनों स्क्रीनशॉट्स के कमैंट्स एंड क्लेम पे ही रखते हैं। तो इनको देखने के बावजूद भी जिसको प्रैक्टिकल और रियल समाज नहीं देखना; वो रहें आइडियलिज्म पे लेक्चर झाड़ते और आइडियल समाज का झुनझुना बजाते। भैया, समाज को जैसे अगड़े व् सवर्ण चलाते हैं उसको कम-से-कम ऐसी चीजों में तो इनके अनुसार (इनकी ऊंच-नीच वाले लीचड़ कीचड़ को छोड़ के) ही चलने दो; इससे पिछड़ों को अगड़ों में शामिल होने या उन जैसा बनने में आसानी रहेगी।
इसलिए जब यह खुलके सिंधु को क्लेम कर रहे, तो जाटों को सिंधु को जाट होते हुए भी जाट क्लेम करने में कैसा हर्ज और कैसा जातिवाद? किसी को नीचा तो नहीं दिखाया, किसी को गाली तो नहीं दी, जाट को जाट ही तो कहा है?
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
अब इनसे उत्साह और प्रेरणा पाकर मैं सच्चाई तो कह सकता हूँ ना कि साक्षी मलिक और पी.वी. सिंधु ही नहीं बल्कि इन दोनों के कोच क्रमश: कुलदीप मलिक जी / ईश्वर दहिया जी व् पुलेला गोपीचंद जी; पूरी टीम ही जाट है। साक्ष्य और तथ्य मैं पहले की पोस्टों में दे ही चुका। यार एक बात बताओ जब बहन पी.वी. सिंधु के ऑफिसियल फिजियो से सीधे-सीधे यह बातें कन्फर्म हो के आ चुकी हैं कि पीवी सिंधु और गोपीचंद पुलेला जी दोनों जाट (तेलुगु में कम्मा) हैं तो फिर कन्फ्यूजन कैसा?
खैर, बात इन दोनों स्क्रीनशॉट्स के कमैंट्स एंड क्लेम पे ही रखते हैं। तो इनको देखने के बावजूद भी जिसको प्रैक्टिकल और रियल समाज नहीं देखना; वो रहें आइडियलिज्म पे लेक्चर झाड़ते और आइडियल समाज का झुनझुना बजाते। भैया, समाज को जैसे अगड़े व् सवर्ण चलाते हैं उसको कम-से-कम ऐसी चीजों में तो इनके अनुसार (इनकी ऊंच-नीच वाले लीचड़ कीचड़ को छोड़ के) ही चलने दो; इससे पिछड़ों को अगड़ों में शामिल होने या उन जैसा बनने में आसानी रहेगी।
इसलिए जब यह खुलके सिंधु को क्लेम कर रहे, तो जाटों को सिंधु को जाट होते हुए भी जाट क्लेम करने में कैसा हर्ज और कैसा जातिवाद? किसी को नीचा तो नहीं दिखाया, किसी को गाली तो नहीं दी, जाट को जाट ही तो कहा है?
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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