हे जाटो! मनोहरलाल
खट्टर, अश्वनी चोपड़ा, मनीष ग्रोवर, राजीव जेटली, राजकुमार सैणी, रोशनलाल
आर्य जैसे लोगों का धन्यवाद करो। धन्यवाद करो इनका कि आपको इनके रूप में
आलोचक मिले। जैन मुनि तरुण सागर कहते हैं कि "आलोचक बुरा नहीं, वह तो
जिंदगी के लिए साबुन का काम करता है। गली में दो-चार सूअर हों तो गली साफ़
रहती है।"
यह आलोचक नहीं होते तो आपने यूँ ही शहरी व् ग्रामीण जाट में बंटे रहना था; कहीं अमीर व् गरीब जाट में बंटे रहना था; यूँ ही अपने त्यौहारों को छोड़ गैरों के मनाते फिरना था। अबकी बार देखो कितना बदलाव आया है; बदलाव आया है तब से जब से खट्टर-चोपड़ा-ग्रोवर-जेटली-सैणी-आर्य जैसी साबुनों ने आपके समाज में आपके अपनों के प्रति अपनेपन की मैली हो चुकी भावना को धो के निखारा है।
सोशल मीडिया पर ही देख लो, शुद्ध जाटू-सभ्यता के त्योहारों की कितनी बधाइयाँ बढ़ी और आपस में दी गई। आप अपने आपको गर्व से जाट और गर्व से हरयाणवी कहने लगे हो। वर्ना तो औरों से ही भाईचारा निभाने के टूल्स बनके रह गए थे।
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
यह आलोचक नहीं होते तो आपने यूँ ही शहरी व् ग्रामीण जाट में बंटे रहना था; कहीं अमीर व् गरीब जाट में बंटे रहना था; यूँ ही अपने त्यौहारों को छोड़ गैरों के मनाते फिरना था। अबकी बार देखो कितना बदलाव आया है; बदलाव आया है तब से जब से खट्टर-चोपड़ा-ग्रोवर-जेटली-सैणी-आर्य जैसी साबुनों ने आपके समाज में आपके अपनों के प्रति अपनेपन की मैली हो चुकी भावना को धो के निखारा है।
सोशल मीडिया पर ही देख लो, शुद्ध जाटू-सभ्यता के त्योहारों की कितनी बधाइयाँ बढ़ी और आपस में दी गई। आप अपने आपको गर्व से जाट और गर्व से हरयाणवी कहने लगे हो। वर्ना तो औरों से ही भाईचारा निभाने के टूल्स बनके रह गए थे।
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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