Tuesday, 13 December 2016

मनुवादी सोच से पोषित व् ट्रैनेड पीएम है यह!

जैसे मनुस्मृति कहती है कि सवर्ण, शुद्र का कमाया धन-जमीन-संसाधन जोर-जबरदस्ती से भी हथिया सकता है तो कोई अपराध नहीं, क्योंकि वह उसने सवर्ण के सुख के लिए ही कमाया है (क्यों भाई सवर्ण को हाथ-पैर नहीं हैं या वो शुद्र का जमाई या फूफा लगता है?); ठीक वैसे ही पीएम मोदी किसान-दलित-मजदूर की कमर पे वार पे वार किये जा रहा है| कभी फसलों के दाम गिरा के, कभी दालें विदेशों में उगवा के तो अब गेहूं ही विदेश से इम्पोर्ट करवा के (जबकि देश के गौदामों में अगले पांच साल से ज्यादा का स्टॉक भरा सड़ रहा है, उस स्टॉक को जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने के इंतज़ाम कर नहीं रहा; विदेश से और मंगवा रहा है; क्या यही था इनका "मेक-इन-इंडिया"), कभी ओबीसी के आरक्षण में प्रमोशन खत्म करके, कभी असिस्टेंट प्रोफेसरों की जॉब्स में आरक्षण ही खत्म करके, तो अभी कल ही राजस्थान में गुज्जर आरक्षण खत्म करके| विमुद्रीकरण वगैरह से तो खैर पूरा देश ही परेशान घूम रहा|

जाट के साथ मनुवाद का पंगा लेना समझ आता है क्योंकि जाट इनकी नहीं सुनता परन्तु बेचारे गुज्जर भी नहीं बक्शे अब तो| अरे और नहीं तो कम-से-कम उस रोशनलाल आर्य का ही ख्याल कर लिया होता जो विगत दो सालों से आरएसएस/बीजेपी का भोंपू बन जगह-जगह जाटों का श्राद्ध करवाता फिर रहा था| कभी सर छोटूराम पे ऊँगली उठा रहा था तो कभी ताऊ देवीलाल पे|

ओ! ताऊ देवीलाल को कैसे-कैसे लोग राज कर गए कहने वाले, यह देख तेरा सरमाया कौन है, कैसा है; ओ सर छोटूराम को अंग्रेजों का चाटुकार बोलने वाले, यह देख तू कैसे लोगों की चाटुकारी करता घूम रहा है? सर छोटूराम चाटुकार थे या जिगरबाज, पर वो किसानों के हक़ अंग्रेजों के नल में डंडा दे के निकाल लिया करते थे| तू पूरी किसान कौम की तो छोड़, हमारे गुज्जर भाइयों का कल छिना आरक्षण ही वापिस दिला के दिखा दे, इन आरएसएस/बीजेपी वालों से| मैं तो यूँ कहूँ कि यह छीना ही क्यों?

और साथ ले लियो उस आरएसएस/बीजेपी द्वारा ही प्लांटेड ओबीसी के स्वघोषित मसीहा राजकुमार सैनी को भी|
मैं तो यूँ कहूँ तुम क्यों तो लोगों को गलत दुश्मन दिखा रहे और क्यों खुद बिल्ली को देख कबूतर की तरह आँख मूंदे हांड रहे? तुमने ना तो इसको 2014 में पहचाना (जबकि जाट तो कभी से पहचानता इनको, इसीलिए तो हरयाणा में बावजूद मोदी लहर के मात्र 2-4% जाटों ने ही हेजा था इनको) और ना अब पहचान रहे। तुम्हारा दुश्मन जाट नहीं, यह मनुवाद है| अब भी सुधर जाओ और किसान कौम को एक करके उनकी भलाई के लिए कार्य शुरू कर दो| तुम दोनों की पार्टी की स्टेट-सेंटर दोनों जगह सरकार है; तो जनता में रैलियां कर-कर किसको उलाहने देते फिर रहे हो? उलाहने तब तो देने बनें तुम्हारे जब दोनों बीजेपी-आरएसएस से हर प्रकार का नाता तोड़ लो| एक एमपी बना हुआ है बीजेपी से ही और दूसरा इनका भोंपू; और जनता को उल्लू बना के दुश्मन के नाम पे जाट दिखा रहे?

और ले लो किसानी कौमों में फूट डालने के नतीजे| अब भी समझो इस बात को कि मनुवादी सोच को तुम बिना जाट के हैंडल नहीं कर सकते| मत ले जाओ समाज को ऐसी राहों पर कि आने वाली जेनरेशन्स तुम्हें गालियां ही गालियां बकें|

Note: Thanks for sending this post to either of Rajkumar Saini or Roshanlal Arya, if anyone can; though I am trying at my end too!

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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