Saturday, 4 March 2017

आरएसएस कहती है कि जो मुस्लिम की लड़की ब्याह लाये वह महाहिन्दू कहा जाए!

आप लोगों ने योगी आदित्यनाथ, साक्षी महाराज, बजरंगदल, हिन्दू महासभा इत्यादि वालों को यदाकदा यह लाइन कहते हुए सुना तो होगा? और आप यह भी जानते हैं कि यह सब आरएसएस की विंग्स हैं?

पर भाई, हमारे गठवाले (मलिक) जाटों के दादा मोमराज जी महाराज आज से दसियों सदी पहले गढ़-ग़ज़नी की बेगम को दादा बाहड़ला पीर की मदद से भगा के ब्याह लाये थे, हमने तो कभी ना सुना इन आरएसएस वालों को मलिक जाटों को महाहिन्दू कहते हुए?

खापलैंड.कॉम वेबसाइट के प्रोविजनल लांच पर एक अति-विशिष्ट व्यक्ति ने व्यक्तिगत वार्ता में बताया कि तुम्हें दहिया, हुड्डा जाट (उन्होंने दो चार और जाट गोतों के नाम लिए थे) कभी मुस्लिम नहीं मिलेंगे? उनकी बात के तर्क से तर्क निकाला तो पूछा कि मुस्लिम तो कोई गठवाला जाट भी ना मिलता? हाँ, उल्टी गठवाला जाटों को बराबरी के सम्मान के साथ मुस्लिमों ने मलिक की उपाधि जरूर ऑफर की थी; जो कि हम आज भी इसी स्टेटस सिंबल से प्रयोग करते हैं कि मुस्लिम खलीफाओं ने हिंदुओं में किसी को अपने से ऊपर या बराबर माना था तो वह मलिक यानी गठवाले जाट रहे हैं|

अरे, सुन रहे हो क्या आरएसएस वालो, योगी आदित्यनाथ; बताओ कब मलिक जाटों का महाहिन्दू की भांति सम्मान कर रहे हो?

वैसे मुझे आजतलक यह बात समझ नहीं आई कि हिन्दू धर्म त्याग के जाट सिख भी बने, बुद्ध भी बने, ईसाई भी बने, जैन भी बने, बिश्नोई भी बने, मुस्लिम भी बने; तो फिर यह 'डर की वजह से बने' की पंक्ति सिर्फ मुस्लिम वाले मामले में ही क्यों जोड़ती जाती रही है?

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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