पुजारी और फेरे, भारत की जाट बेल्ट्स को छोड़कर इन दोनों धंधों में
ब्राह्मण का 100% मोनोपोली रहा है| जाट बेल्ट्स में जाट ने ढंग से ना सही
परन्तु फिर भी इस मोनोपोली को तोड़ा है| आर्यसमाजी पध्दति से फेरे करवाना हो
या ढेरों-मन्दिरों में पुजारी-महंत बनना; जाटों ने इस मोनोपली को तोड़ा है|
इन धंधों से होने वाली आमदनी को ब्राह्मण से अपने लिए बंटवाया है|
और यही वो वजह है कि क्यों यह जाट बनाम नॉन-जाट ही बनाया गया, किसी और जाति बनाम सब अन्य क्यों नहीं उछाला गया| और यह बावजूद इसके है कि जाटों ने जिस भी ब्राह्मण ने उनको उचित सम्मान दिया है उसको प्रसिद्धि की प्रकाष्ठा तक ऊपर उठाया है, उदाहरणत: महर्षि दयानंद उर्फ़ मूलशंकर तिवारी|
इसीलिए दलित व् ओबीसी इस जाट बनाम नॉन-जाट के बहकावे में आने से पहले जरूर सोचें कि कहीं ना कहीं उनके यह कदम इनकी मोनोपोली को वापिस बहाल करवाने में ही मदद कर रहे हैं; कृपया ऐसी नादानी ना करें| जाटों से कोई मनमुटाव है तो सीधा बैठ के बात कर लें, बजाये इनके हाथों कठपुतली बनने के| जाट वो है जिसने फसल खलिहान में आते ही दलित-ओबीसी का हिस्सा पहले दिया है और बाद में अनाज अपने घर ले के गया है|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
और यही वो वजह है कि क्यों यह जाट बनाम नॉन-जाट ही बनाया गया, किसी और जाति बनाम सब अन्य क्यों नहीं उछाला गया| और यह बावजूद इसके है कि जाटों ने जिस भी ब्राह्मण ने उनको उचित सम्मान दिया है उसको प्रसिद्धि की प्रकाष्ठा तक ऊपर उठाया है, उदाहरणत: महर्षि दयानंद उर्फ़ मूलशंकर तिवारी|
इसीलिए दलित व् ओबीसी इस जाट बनाम नॉन-जाट के बहकावे में आने से पहले जरूर सोचें कि कहीं ना कहीं उनके यह कदम इनकी मोनोपोली को वापिस बहाल करवाने में ही मदद कर रहे हैं; कृपया ऐसी नादानी ना करें| जाटों से कोई मनमुटाव है तो सीधा बैठ के बात कर लें, बजाये इनके हाथों कठपुतली बनने के| जाट वो है जिसने फसल खलिहान में आते ही दलित-ओबीसी का हिस्सा पहले दिया है और बाद में अनाज अपने घर ले के गया है|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
No comments:
Post a Comment