"पानीपत की तीसरी लड़ाई" एक ऐसा ऐतिहासिक पहलु जिसके साथ कई ऐतिहासिक किस्से जुड़े हैं जो इस फिल्म में शायद ही देखने सुनने को मिलें:
1) भाऊ से उपजा शब्द हाऊ: आज भी ग्रेटर हरयाणा की औरतें बच्चों को बोलती हैं कि सो जाओ, वरना हाऊ आ ज्यांगे या गैर-बख़्त बाहर मत जाओ हाऊ खा लेंगे| यह सम्बोधन हरयाणा की औरतों ने निकाल दिया था, भाऊओं को बच्चों को डराने वाले हाऊ बना के; क्योंकि यह इतने ही क्रूर-निर्दयी बताये जाते थे कि इनसे अब्दाली डरा या नहीं पंरतु हरयाणा में औरतें बच्चों को आज भी डराने-धमकाने के लिए इस शब्द का प्रयोग करती हैं| किसी का भी चरित्र-हनन करने व् नेगेटिव मार्केटिंग का खुद को उस्ताद समझने वाला मीडिया जान ले कि जिस दिन हरयाणवी लुगाईयों के हत्थे चढ़ गए ना थारी सारी उल्टी-सीधी मार्केटिंग धो के धर देंगी| और तुम कब भाऊ से हाऊ बना दिए पता भी ना लगेगा|
2) बिन जाट्टां किसनै पानीपत जीते - काफी मशहूर कहावत है डिटेल्स जानते ही होंगे, इसका ओरिजिन इसी लड़ाई से हुआ था|
3) जाट दर पे आये के घर बसा दे, जख्म सुखा दे - अहम् में भरे पेशवे, जाटों के सहयोग का अपमान करते हुए जब अकेले पानीपत लड़ने चढ़े और अब्दाली ने हराये तो रण के थके-हारे-घायल पेशवाओं को अब्दाली के डर से कोई राजा-समाज शरण नहीं दे रहा था, तब महाराजा सूरजमल के आदेश पर जाटों ने इनकी मरहम पट्टियाँ कर जाट सेना की सुरक्षा में वापिस महाराष्ट्र छुड़वाए थे| तब जाकर ब्राह्मण पेशवाओं को जाटों का जिगरा और दरियादिली समझ आई थी| और पेशवाओं को महाराष्ट्र छोड़ने गई जाट सेना के सैनिकों संग अपनी बेटियाँ ब्याह उनको वापिस नहीं आने दिया अपितु वहीँ बसा लिया| नासिक के पास बसते हैं जाट, करीब 40 गाँव में, इनकी वहां की खाप को "खाप बाईसी" बोला जाता है| जाट कहीं भी जाए खाप साथ जरूर ले जाता है|
4) जाट को सताया तो ब्राह्मण भी पछताया - तीसरा पॉइंट में जो अपमान कर जाट का दिल दुखाया तो पानीपत की हार के बाद ब्राह्मण पेशवा बहुत पछताए थे|
यही वह लड़ाई है जिसके चलते फिर पेशवाओं-मराठों ने "जय हरयाणा" उछाला तो जाटों ने बदले में "जय महाराष्ट्र" उछाला| एलओसी जैसी फिल्म में यह पंच सुना ही होगा|
परन्तु जब इस फिल्म का ट्रेलर देखा तो काफी नीरस तो लगा ही वरन इन बिंदुओं को छुआ ही नहीं गया है| लगता है कि शायद फिल्म में भी ना छुए होंगे| संशय है कि कहीं फिल्म में इनके विपरीत या इनकी आदतानुसार कुछ ना कुछ निम्न करके ही दिखाया हुआ ना आये| खैर चलो देखते हैं फिल्म आने पर|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
1) भाऊ से उपजा शब्द हाऊ: आज भी ग्रेटर हरयाणा की औरतें बच्चों को बोलती हैं कि सो जाओ, वरना हाऊ आ ज्यांगे या गैर-बख़्त बाहर मत जाओ हाऊ खा लेंगे| यह सम्बोधन हरयाणा की औरतों ने निकाल दिया था, भाऊओं को बच्चों को डराने वाले हाऊ बना के; क्योंकि यह इतने ही क्रूर-निर्दयी बताये जाते थे कि इनसे अब्दाली डरा या नहीं पंरतु हरयाणा में औरतें बच्चों को आज भी डराने-धमकाने के लिए इस शब्द का प्रयोग करती हैं| किसी का भी चरित्र-हनन करने व् नेगेटिव मार्केटिंग का खुद को उस्ताद समझने वाला मीडिया जान ले कि जिस दिन हरयाणवी लुगाईयों के हत्थे चढ़ गए ना थारी सारी उल्टी-सीधी मार्केटिंग धो के धर देंगी| और तुम कब भाऊ से हाऊ बना दिए पता भी ना लगेगा|
2) बिन जाट्टां किसनै पानीपत जीते - काफी मशहूर कहावत है डिटेल्स जानते ही होंगे, इसका ओरिजिन इसी लड़ाई से हुआ था|
3) जाट दर पे आये के घर बसा दे, जख्म सुखा दे - अहम् में भरे पेशवे, जाटों के सहयोग का अपमान करते हुए जब अकेले पानीपत लड़ने चढ़े और अब्दाली ने हराये तो रण के थके-हारे-घायल पेशवाओं को अब्दाली के डर से कोई राजा-समाज शरण नहीं दे रहा था, तब महाराजा सूरजमल के आदेश पर जाटों ने इनकी मरहम पट्टियाँ कर जाट सेना की सुरक्षा में वापिस महाराष्ट्र छुड़वाए थे| तब जाकर ब्राह्मण पेशवाओं को जाटों का जिगरा और दरियादिली समझ आई थी| और पेशवाओं को महाराष्ट्र छोड़ने गई जाट सेना के सैनिकों संग अपनी बेटियाँ ब्याह उनको वापिस नहीं आने दिया अपितु वहीँ बसा लिया| नासिक के पास बसते हैं जाट, करीब 40 गाँव में, इनकी वहां की खाप को "खाप बाईसी" बोला जाता है| जाट कहीं भी जाए खाप साथ जरूर ले जाता है|
4) जाट को सताया तो ब्राह्मण भी पछताया - तीसरा पॉइंट में जो अपमान कर जाट का दिल दुखाया तो पानीपत की हार के बाद ब्राह्मण पेशवा बहुत पछताए थे|
यही वह लड़ाई है जिसके चलते फिर पेशवाओं-मराठों ने "जय हरयाणा" उछाला तो जाटों ने बदले में "जय महाराष्ट्र" उछाला| एलओसी जैसी फिल्म में यह पंच सुना ही होगा|
परन्तु जब इस फिल्म का ट्रेलर देखा तो काफी नीरस तो लगा ही वरन इन बिंदुओं को छुआ ही नहीं गया है| लगता है कि शायद फिल्म में भी ना छुए होंगे| संशय है कि कहीं फिल्म में इनके विपरीत या इनकी आदतानुसार कुछ ना कुछ निम्न करके ही दिखाया हुआ ना आये| खैर चलो देखते हैं फिल्म आने पर|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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