Wednesday, 11 December 2019

फंडी का डांगर मैनेजमेंट!

आपने गाय-भैंसों के पाळी/चरवाहे सुने होंगे? आईये आपको इंसान रुपी डांगर के चरवाहों से मिलवाता हूँ, उन पालियों/चरवाहों का नाम है फंडी|

इस लेख में आपको जानवरों के बाड़ों/अस्तबलों की भाँति उन ठाणो/ठोरों/खोरों/खूँटों से भी मिलवाता हूँ, जिनमें फंडी आपको आपकी योग्यता के अनुसार बाँध के रखता है या रखने की कोशिश करता है| लेख के अंत में किसी को अगर खुद के जानवर होने का अहसास होवे और फंडी द्वारा हाँके जाने का आभास होवे तो मुझे गाली मत देना| हालाँकि मैं वह उन्मुक्त इंसान हूँ जो वाकई में खुद को इंसान कह सकता है क्योंकि फंडी मेरे जैसों के नाम से ही कन्नी काटते हैं| सनद रहे उन्मुक्त-स्वछंद इंसान ही वह है फंडी का भी फूफा होता है, इसलिए जो फंडी का फूफा है वह बेख़ौफ़ होकर लेख को पढ़े और जो इनके खूंटे बंधा पड़ा है वह मुझे कोसते हुए भी पढ़ेगा तो चलेगा|

बाकी हँसोगे भी बहुत अगर उदारवादी जमींदारी को वाकई में समझने वाले व् उस परिवेश के हुए तो| सोचोगे कि यह फंडी भी क्या गजब चीज है कि जिन थ्योरी-प्रिंसिपल्स के आधार हम जानवरों को पालते हैं, फंडी ज्यों-के-त्यों फंडे इंसान रुपी जानवरों पर लगाते हैं बशर्ते वह पालतू जानवर अगर हों तो| क्योंकि जंगली जानवर यानि स्वछंद व् ताकत वाले इनके काबू भी नहीं आते; इसलिए जो इनके काबू नहीं आता उसको फंडी जंगली-आतंकी के नरेटिव में सेट करके फैलाते हैं और जो पालतू बन जाते हैं, उनको यह "भक्त", "निष्ठावान पुरुष", "मर्यादित पुरुष", "आस्थावान" आदि-आदि के टाइटल से नवाजते हैं| तो आइये जरा ज्यादा नहीं बस थोड़े से ही विस्तार से जान लेते हैं कि क्या नरेटिव्स हैं फंडी नामक पाळी के इंसान रुपी डांगर पर:

बल के आधार पर चार ठाण हैं फंडी के पास पालतू इंसान (जंगली व् इनके फूफे टाइप्स को छोड़ के) को बाँधने के:
1) बाहु-बली - फंडी इसके बाहुबल को इतना प्रमोट करता है कि यह इसको इसी में उलझा के मार देता है|
2) धन-बली - धन वाले की तब तक फंडी स्तुति करेगा जब तक अगले का पीतल ना निकल जाए|
3) बुद्धि-बली - बुद्धि वाले के इमोशनल नर्व पर फंडी जा के बैठता है व् उसको इमोशंस के जरिये मारता है|
4) शौहरत-बलि - समाज की लिहाज-शर्म-गैरत में सर तक डुबो कर मारता है| 

लिंग-वर्ण-नश्ल के आधार पर तीन ठाण हैं:
1) लिंगवादी - किसी घर में मर्दवाद हावी है तो उसको बदनाम करने का भय दिखा के अपने खूंटे बढ़ने की कहता है, और अगर स्त्रीवाद हावी है तो स्त्री को घर के नफे-नुकसान-जेठानी-देवरानी से जलन-असुरक्षा-भय के जाल में  फँसा के अपने खूंटे बांधता है| 
2) वर्णवादी - छूत-अछूत-ऊँच-नीच के सारे तन्त्रम इस खूँटे पर होते हैं| जो इसमें आन बँधा समझो सदियों-जमानों के लिए गया|
3) नश्लवादी - धर्म-पंथ का गहरा कुआँ| इतना गहरा कि उस कुँए से निकालने वाला गैर-धर्मी भी हुआ तो ऊपर आ के उसको ही कुँए में धकेलोगे कि जैसे उसने ही इसमें धकाया था|

कर्म के आधार पर:
1) फंडी के भीतर के ठाण - यह वह केटेगरी है जहाँ फंडी की खुद की खोरें तय की जाती हैं| ऊंच जाति के यहाँ तू चरेगा और नीच के यहाँ तू| ज्यादा पैसे वाले के तू जायेगा, कम वाले के वह| ज्यादा पढ़े-लिखे के घर तू जायेगा और अनपढ़ के घर तू| ज्यादा शौहरत वाले के तू जायेगा और सामान्य के तू| 
2) व्यापार - इसका व्यापार बिगड़ने-बिगाड़ने के भय दिखाकर या इसका कारोबार बढ़वाने का लालच देकर इसको इस खूँटे बांधता है| 
3) जमींदार - सामंतवादी जमींदार इस खूँटे का सबसे बड़ा लागू होता है| उदारवादी जमींदार अगर वर्ण के खूँटे से बंधा होगा तो इसमें वह भी काउंट होता है अन्यथा उदारवादी जमींदार ही पालतू की बजाये सबसे ज्यादा जंगली व् फंडी का फूफा केटेगरी में आता है| 
4) कामगार - यानि कर्मचारी व् मजदूर| यह लोग फंडी का सबसे सहज शिकार होते हैं|

मनोविज्ञान के आधार पर:
1) भावुक
2) नाजुक
3) चाबुक
4) स्वार्थी
5) कपटी
6) डरपोक
7) द्वेषी
8) क्लेशी

इन आठों खूँटों में जिसमें जिस खूंटे की जितनी गुंजाइस, उसकी फंडी द्वारा उसी खूंटे से जोर-आजमाइश|

इस तरह बल-नश्ल-कर्म-मनोविज्ञान यह चार ठाण हैं, इनके नीचे की सब-केटेगरी वह खूँटें हैं जिनपर फंडी एक-एक इंसान को जानवर की भांति बाँधने की कोशिश करता है| हाँ, इन खूँटों पर बँधता वही है जो पालतू किस्म का हो, जंगली व् फंडियों का फूफा केटेगरी वाले इसमें नहीं आते|

इन खूँटों को विस्तार से एक अन्य लेख में लिखूंगा कभी फुरसत में| फ़िलहाल आप कौनसे ठाण व् खूँटे बंधे हैं खुद मिलाप कर लें व् कोशिश करें उस ठाण व् खूँटे से खुद को खुलाने की|

और जो फंडियों के इन खूँटों पर बंधे जानवरों को खोलकर आजाद करना चाहते हैं वह पहले हर खूंटे पर बंधे जानवर के खतरों को अच्छे से जांचना-मापना-समझना सीख लें; वरना याद रखिये पालतू जानवर सबसे पहले उसको खोलने आने वाले अनजान से ही बिदकता है, जबकि फंडी चाहे उसका खूँटा बदले या ठाण वह उसको अपना ही लगता है|

तो फंडियों के खिलाफ लड़ाई इतनी सहज नहीं है| यह एक बहुत कॉम्प्लिकेटेड मनोविज्ञान है| यह लड़ाई लठ से कम व् मनोविज्ञान से ज्यादा लड़ी जानी है| इसलिए जो भी जंगली कहलाता हो या फंडियों का फूफा कहलाता हो, उसके लिए लाजिमी है कि वह लठ से पहले मानसिक तौर पर इतना मजबूत कम-से-कम जरूर होवे या खुद को करे कि इन ऊपर बताये ठाणो व् खूँटों के इर्दगिर्द मजमा जानता/जानती हो| क्योंकि कौन किस खूँटें से बँधा है उस खूँटें का मजमा क्या है; वह जानोगे तभी पालतू इंसान को फंडी के ठाण से खोल पाओगे और अपने साथ भी ले पाओगे| 

नोट: या तो कमेंट करें नहीं और करें तो इस लेख में जो मान-मर्यादा की दीवार बरकरार रखी गई है उसी स्टाइल में कमेंट करें| वैसे भी मैं साइलेंस को किल करने के लिए लिखता हूँ, बोलते हुए को चुप करवाने के लिए नहीं| 

जय यौद्धेय! - फूल मलिक 

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