दिल्ली में कपिल
मिश्रा की अगुवाई में शुरू हुए फंडी बनाम मुस्लिम दंगों में जरा सम्भल कर
हाथ डालें, कोई इनको "हिन्दू बनाम मुस्लिम दंगे" समझ कर तो इनमें अपनी पूंछ
बिलकुल ना जलवाए, खासकर उदारवादी जमींदारी (इसको मानने वाले
किसान-दलित-ओबीसी-व्यापारी-पुजारी-मुल्ला-मौलवी सभी) तो "मुज़फ्फरनगर दंगे"
व् "35 बनाम 1 वाले हरयाणा दंगों" के इतिहास को देखते हुए दूर ही रहें इस
सबसे| वैसे भी किसान-जमींदारों की औलादें, जिनमें 90% "हैड-टू-माउथ" कमा के
खाने वाले लोग हैं, वह अपने घरों की तरफ
जरूर देख लेवें| मिश्रा जैसों को कुछ हुआ तो धर्म से ले सरकारें तक करोड़ों
के मुवावजे दे देंगी, और तुम्हें मिलेंगी तो सिर्फ जेलें या कभी ना खत्म
होने वाले कोर्ट-केस या बाद में "मुस्लिम बनाम हिन्दू" में से "हिन्दू"
गायब कर दिया जायेगा और इसकी जगह एक जाति विशेष चिपका (जैसे मुज़फ्फरनगर
दंगों में किया था) के निकल लेंगे|
वैसे है ना कमाल, मुंबई में स्थानीय लोग दंगे करते हैं, गुजरात में
स्थानीय लोग करते हैं, परन्तु विशाल हरयाणा (दिल्ली-आज का हरयाणा व् वेस्ट
यूपी) में बिहार-बंगाल से आये मिश्रा जैसे लोग दंगे-फसाद करते हैं| जरूर यह
महाभारत कोरी कपोल-कल्पना है, यहाँ स्थानीय लोग शांति-सद्भाव से रहने वाले
हैं और वह ऐसे ही रहेंगे; इस महाभारत को उन्हीं को जमाने दो जिन्होनें यह
घड़ी हुई है|
अगर आप इन दंगों को रोकने या शांत करवाने की भूमिका नहीं निभा सको तो आप इसमें न्यूट्रल भी रहेंगे तो कल को बहुत भला कहलाये जाओगे| यह दंगे धर्म या देशभक्ति से कुछ सरोकार नहीं रखते, अपितु सिर्फ-और-सिर्फ फंडी उनकी इकनोमिक ताकत व् ग्रिप बढ़ाने हेतु भिड़ रहे हैं देश की बाकायदा नागरिकता वाले माइनॉरिटी धर्म से|
सनद रहे, चाहे 1984 हो, 2013, 2016 या अब 2020; इन सबमे एक पक्ष स्थाई तौर पर चल रहा है और उसका नाम है सर छोटूराम का बताया हुआ "फंडी"; जंगली मेंटालिटी ना हो तो, जब देखो इनको झींगा-ला-ला-हुर्र-हुर्र करने को कोई ना कोई चाहिए| अबकी बार इनको खुद ही करने दीजिये, "झींगा-ला-ला-हुर्र-हुर्र"|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
अगर आप इन दंगों को रोकने या शांत करवाने की भूमिका नहीं निभा सको तो आप इसमें न्यूट्रल भी रहेंगे तो कल को बहुत भला कहलाये जाओगे| यह दंगे धर्म या देशभक्ति से कुछ सरोकार नहीं रखते, अपितु सिर्फ-और-सिर्फ फंडी उनकी इकनोमिक ताकत व् ग्रिप बढ़ाने हेतु भिड़ रहे हैं देश की बाकायदा नागरिकता वाले माइनॉरिटी धर्म से|
सनद रहे, चाहे 1984 हो, 2013, 2016 या अब 2020; इन सबमे एक पक्ष स्थाई तौर पर चल रहा है और उसका नाम है सर छोटूराम का बताया हुआ "फंडी"; जंगली मेंटालिटी ना हो तो, जब देखो इनको झींगा-ला-ला-हुर्र-हुर्र करने को कोई ना कोई चाहिए| अबकी बार इनको खुद ही करने दीजिये, "झींगा-ला-ला-हुर्र-हुर्र"|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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