ना देश में कोई विदेशी आक्रांता आया है,
ना देश में घुसा है कोई लुटेरा,
फिर कौन है यह भीड़, किधर से आई?
है कौन (कपिल मिश्रा, यह बिहार से यहाँ रोजी-रोटी कमाने आया है या मस्ताने?) इसका चेहरा?
सोचा, भूल गए हो तो इस सलंगित खबर के जरिये बता दूँ और इनका नाम है "फंडी", जिसका कपिल मिश्रा नाम का एक चेहरा लांच किया गया है| यह अपने धर्म के भीतर शांतिकाल में शांति नहीं रहने देते, धर्म से बाहर किसको चैन से जीने देंगे ये| और एक ख़ास बात, पूरे मुग़लकाल से ले अंग्रेजीकाल उठा के देखना, सबसे ज्यादा मुगलदरबारी हों या अंग्रेजदरबारी; यही मिलेंगे| और अगर वाकई में इतिहास की भाँति कोई मुग़ल-अंग्रेज फिर से घुस आये तो कुत्ता जैसे मालिक के धमकाने पर उसके पैरों में लौटने-चाटने लगता है ऐसे लौटते-चाटते हुए सबसे पहले दरबारी बनने भागेंगे ये फंडी, जो आज ना निचले टिक रहे, ना किसी को टिकने दे रहे| आये बड़े "ऑफ-सीजन" के धर्मभक्त व् राष्ट्रभक्त|
दंगे रुकवा या शांत ना करवा सको तो दूर रहिएगा इनसे| इनके बड़े ब्योंत, बड़े जुगाड़ हैं तो बड़ी बात होंगी ही| तुम-हम ठहरे महाराजा सूरजमल जी के कथन वाले मामूली से जमींदार, हमारे इतने ब्योंत कहाँ कि इतने बड़े पुवाड़े-पंगे रच सकें|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
ना देश में घुसा है कोई लुटेरा,
फिर कौन है यह भीड़, किधर से आई?
है कौन (कपिल मिश्रा, यह बिहार से यहाँ रोजी-रोटी कमाने आया है या मस्ताने?) इसका चेहरा?
सोचा, भूल गए हो तो इस सलंगित खबर के जरिये बता दूँ और इनका नाम है "फंडी", जिसका कपिल मिश्रा नाम का एक चेहरा लांच किया गया है| यह अपने धर्म के भीतर शांतिकाल में शांति नहीं रहने देते, धर्म से बाहर किसको चैन से जीने देंगे ये| और एक ख़ास बात, पूरे मुग़लकाल से ले अंग्रेजीकाल उठा के देखना, सबसे ज्यादा मुगलदरबारी हों या अंग्रेजदरबारी; यही मिलेंगे| और अगर वाकई में इतिहास की भाँति कोई मुग़ल-अंग्रेज फिर से घुस आये तो कुत्ता जैसे मालिक के धमकाने पर उसके पैरों में लौटने-चाटने लगता है ऐसे लौटते-चाटते हुए सबसे पहले दरबारी बनने भागेंगे ये फंडी, जो आज ना निचले टिक रहे, ना किसी को टिकने दे रहे| आये बड़े "ऑफ-सीजन" के धर्मभक्त व् राष्ट्रभक्त|
दंगे रुकवा या शांत ना करवा सको तो दूर रहिएगा इनसे| इनके बड़े ब्योंत, बड़े जुगाड़ हैं तो बड़ी बात होंगी ही| तुम-हम ठहरे महाराजा सूरजमल जी के कथन वाले मामूली से जमींदार, हमारे इतने ब्योंत कहाँ कि इतने बड़े पुवाड़े-पंगे रच सकें|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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