Saturday, 29 February 2020

जताई की लड़ाई और जताई गाम के बसने का गौरवशाली ऐतिहासिक किस्सा!


वह लड़ाई जब धनाना गाम (मेरा नानका) की "जाटू-खाप 84" की आर्मी ने जिंद रियासत की वह शाही फ़ौज हरा दी थी, जिसमें अंग्रेज अफसर-फौजी-असले भी शामिल थे| यह लड़ाई धनाना गाम से अंग्रेजों द्वारा टैक्स उगाहने हेतु हुई थी| तब धनाने ने जिंद की शाही फ़ौज समेत अंग्रेजों को जताई के मैदानों में कड़ी हार परोसते हुए जो दो टूक कह दी थी, उसकी कविताई पंक्तियाँ अजय घणघस ने कुछ यूँ भेजी हैं:

आपणी पोई आपो खावां, नहीं देवां किसी ने दाना।
कुरली बाजी टाप की, कांपा देश हरयाणा।
डाटा को फोड़ी डाट सी, सर करया गुराणा।
सुई बांधे पगड़ी, पहरा जाटशाही बाणा।
बापोड़ा ना जाणिये, यो से गाम धनाणा।


जताई यानि जहाँ जीत पाई भी कहते सुना जाता है आमजन में|

भिवानी जिले में जिंद-भिवानी रोड पर जताई-धनाना जो गाम हैं, इनमें "जताई" गाम, अंग्रेजों पर धनाना गाम की जीत की ख़ुशी में ठीक वैसे ही बसाया गया था जैसे सन 1620 में गठवाला खाप के आह्वान पर सर्वखाप आर्मी द्वारा कलानौर की रियासत तोड़ने पर मोखरा-कलानौर के बीच "गढ़ी मुरादपुर टेकना" बसाया गया था|

आज फंडी-पाखंडियों से पीढ़ियों को बचाने हेतु पुरखों के इसी ऐटिटूड की जरूरत है कि, "आपणी पोई आपो खावां, नहीं देवां किसी ने दाना।"

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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