तुम्हारा लोहा तो हमारे पुरखों ने बखूबी हुआ आजमाया है,
हमने तो बस आज की पीढ़ी को पिछोका याद दिलाया है|
हम पर क्यों रोते हो पोस्टों के जरिये सोशल मीडिया पर?
उधर जाओ फलानि माँ, धिमकाने धर्म-राष्ट्र ने तुम्हें बुलाया है||
युवा पीढ़ी को भी क्या खूब महाराजा सूरजमल सुजान समझ आया है,
उसका पानीपत में फंडी का गेम समझना, दिल्ली में उसकी खूमों ने दोहराया है
तभी तो पेशवों की भाँति, आज मिश्रों का हर उकसावा हुआ ज्याया है|
वाह, क्या खूब ताकत पहचानी है अपनी; क्या गजब जागरण आया है|
असर सर छोटूराम का भी नस-नस में चलायमान हुआ जाता है,
वो देखो, वो फंडी, क्योंकर बिन मौसम गला फाड़े जाता है|
वो मेहनत तो रंग लाई है, जिसकी हवा हमने 2016 से ख़ास चलाई है,
तभी तो फंडियों की दो दिन में ही दंगे रचने की हवा हुई हवाई है|
अब तरक्की की राह पर ही रहेगा, इतना जो भगत सिंह जंचा रहा ,युवा को,
इन फंडियों के उतार मुखौटे, युवा अब इनकी असलियत बता रहा इनको|
न्योंदे तुम हमारे घालोगे, हम से पा कर, हम पर ही घुरकी घालोगे?
फुल्ले-भगत जब अलख जगावे, फंडियों का असर दूर-लग खत्म जावे|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
हमने तो बस आज की पीढ़ी को पिछोका याद दिलाया है|
हम पर क्यों रोते हो पोस्टों के जरिये सोशल मीडिया पर?
उधर जाओ फलानि माँ, धिमकाने धर्म-राष्ट्र ने तुम्हें बुलाया है||
युवा पीढ़ी को भी क्या खूब महाराजा सूरजमल सुजान समझ आया है,
उसका पानीपत में फंडी का गेम समझना, दिल्ली में उसकी खूमों ने दोहराया है
तभी तो पेशवों की भाँति, आज मिश्रों का हर उकसावा हुआ ज्याया है|
वाह, क्या खूब ताकत पहचानी है अपनी; क्या गजब जागरण आया है|
असर सर छोटूराम का भी नस-नस में चलायमान हुआ जाता है,
वो देखो, वो फंडी, क्योंकर बिन मौसम गला फाड़े जाता है|
वो मेहनत तो रंग लाई है, जिसकी हवा हमने 2016 से ख़ास चलाई है,
तभी तो फंडियों की दो दिन में ही दंगे रचने की हवा हुई हवाई है|
अब तरक्की की राह पर ही रहेगा, इतना जो भगत सिंह जंचा रहा ,युवा को,
इन फंडियों के उतार मुखौटे, युवा अब इनकी असलियत बता रहा इनको|
न्योंदे तुम हमारे घालोगे, हम से पा कर, हम पर ही घुरकी घालोगे?
फुल्ले-भगत जब अलख जगावे, फंडियों का असर दूर-लग खत्म जावे|
जय यौद्धेय! - फूल मलिक
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