Wednesday, 8 April 2020

"मंडियों में फसल लाने वाने वाले किसानों से कहेंगे कि कुछ हिस्सा दान करें, ताकि देश सेवा हो|" - हरयाणा सीएम खटटर बाबू का बयान

महाराज एक तो यह चल क्या रहा है? परसों बड़े वाला औरतों के जेवर-गहने मांग रहा था और आप सीधा फसल ही मांगने लगे? विश्व में कोई सरकार ऐसी अपील नहीं कर रही जैसी दो दिनों में आपने और आपके बड़े वाले ने करी है, एक जेवर-गहने मांग रहा है और एक फसल ही मांग रहा है| क्या धन्ना सेठों के खजाने खाली हो गए या मंदिरों में लोगों द्वारा दान दे के जोड़ी सम्पदा को धरती निगल गई, अगर एक बार को यह मान लिया जाए कि सरकारों के खजाने खाली हुए पड़े हैं तो?

एक तो पिछले छह साल से मंडियों में लूट-लूट के वैसे ही किसान को कंगाल किया हुआ है आप लोगों ने| उसपे वह इस फसल को बेच इस कोरोना में संकट में अपने घर-बच्चों की कुछ दवा कर लेता तो आप उसपे भी दान मांगने लगे वह भी देश सेवा का नाम दे कर| गलियों में घूमता कोई मंगता या साधु हो आप या एक राज्य की सरकार के मुखिया? और अभी तो कोरोना उस स्तर तक फैला भी नहीं है, जिस स्तर तक अमेरिका-यूरोप झेल रहे हैं और अभी से दान?

खैर, दान भी करेंगे क्यों नहीं करेंगे; ऐसी नौबत आएगी तो सब होगा| आखिर पुरखों के सिद्धांत "अपने गाम-खेड़े में कोई भूखा नहीं सोना चाहिए" के सिद्धांत पे चल, बसे गाम हैं हमारे, इतनी तो समझ उनमें बाई-डिफ़ॉल्ट है कि कोई अन्न से भूखा नहीं मरने देना| तो आप इनको देशसेवा और समाजसेवा सिखाने की बजाए वहां यह अपील कीजिये जहाँ जरूरत है इसकी|

और आप यह क्यों नहीं कहते कि व्यापारी किसान को डबल रेट दे के अबकी बार फसल खरीदें? इससे उनके हिस्से की देशसेवा भी हो जाएगी और गरीब किसान के यहाँ दवा का बंदोबस्त भी?

या इन मंदिर वालों से यह देशसेवा करवाने का कष्ट कब करोगे? सुनी है एक-एक मंदिर के पास अरबों-खरबों का चढ़ावा-सोना-रुपया पड़ा है? गुरुद्वारे वाले सिखों समेत तमाम धर्म वालों को लंगर छका रहे हैं, मस्जिदों वाले मुस्लिमों की मदद में धर्म के चढ़ावे-पैसे को लगाने में जुटे हैं, चर्च वाले ईसाईयों की सेवा में अपना धन बाँट रहे हैं इस वक्त; तो क्या यह मंदिरों वाले अपने धर्म वालों हेतु इस संकट की घड़ी में यह खजाने नहीं खोल सकते? या छाती पे रख के ले जायेंगे ये इसको? पूरे विश्व में एक यही हैं जो मंदिरों में जनता की दी धन-सम्पदा पर कुंडली मारे बैठे हैं और एक पैसा जनता के लिए आगे नहीं कर रहे| अब भी यही सोचते हैं कि जनता ही जगराते-भंडारे लगा के काम चला दे, दान दे दे|

इनको करिये यह अपील सबसे पहले| और फिर करिये धन्ना सेठों को| ताकि आज के दिन अनाज से भी जरूरी दवाई व् मेडिकल सुविधाओं हेतु पर्याप्त धन जुटाया जा सके| किसानों के धर्मात्मा होने पर संशय ना करें और इतनी जल्दबाजी ना मचाएं, नहीं मरने देंगे किसी को भूखा तो कम से कम|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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