Wednesday, 5 August 2020

तुम्हारे कल्चर-सिविलाइज़ेशन पर कटाक्ष करने वालों के मुंह व्यक्तिगत टॉपर्स से बंद ना होने, यह होंगे आपसी सर-जोड़ मुहिमों से!

फंडियों वाली बुद्धिमत्ता "सामूहिक व् सवैंधानिक परन्तु अनैतिक लूट" करने हेतु "सर-जोड़" के कम्युनिटी कहो या कैडर का गिरोह बना के काम करने और फिर लूटे हुए को आपस में बाँट के खाने को कहते हैं; व्यक्तिगत तौर पर परीक्षाओं में टॉप करने या ओहदा हासिल करने को नहीं| यूँ ओहदे वाले क्या आज से पहले नहीं थे; जो समझते हो कि फंडी जमात के दो ओहदेदारों (जिनको तुम जवाब मिल गया होगा की पोस्टें निकाल रहे हो कल से) को किन्हीं व्यक्ति-विशेषों के टॉप करने से जवाब मिल गया? नहीं बल्कि, फंडी लोग इन टॉपर्स व् ओहदेदारों को, आजकल क्या बोलते हैं उन तथाकथित दूतों को जो हर डीसी-एसपी ऑफिस में लगा के छोड़े हुए हैं; उन लपाड़ी-लफंगों से गवर्न करवाते हैं| निःसंदेह यह टॉपर्स कम्युनिटी का स्वाभिमान-गौरव बढ़ाये हैं, परन्तु इससे इन फंडियों को जवाब मिल गया; यह गलतफहमी ना पालें|

यह जवाब उस दिन मानेंगे जब इनकी तरह आपस में "सर-जोड़" के इनसे भी बड़ी अनैतिक लूट ना सही, बल्कि अपने एथिकल पूंजीवाद को आगे बढ़ाओगे| आपस में मिलके काम करने के नाम पर तो आजकल थारै माणस-माणस के बीच "घणिये अक्षोहिणी सेना टाइप वाले युद्ध" जस्टिफाई हो जा सैं, वैसे ना होवै तो ये थारे घरों में ही नई-नई पनपी कथा गुरुवों की चेलियां समझौता होणे दे ना| जबकि देखे हैं कभी वह आपस में "यही युद्ध" वो मचाते या "ऐसे युद्धों के मोर्चे भी खोलते" जो तुम्हें प्रवचन के नाम पे यही लठ-बजाने परोसते हैं? तुम इन लठ-बजानी कथाओं को धर्म मान बैठे हो, जबकि फंडियों के लिए यह सब तुमको आपस में सर नहीं जोड़ने देने की राजनीति है| जिस दिन यह समझ गए उस दिन समझना इनको जवाब दे गए|

परन्तु संकट यही तो है कि कद तो थम समझोगे और कद थारी लुगाई कि जमींदारों के यहाँ हर दूसरे घर में "खेत-डोळे के रोळे" होते आये, कद-कद इनको अक्षोहिणी सेना टाइप वाले काल्पनिक युद्धों के स्टाइल में निबटाओगे| म्हारै तो पंचायती यानि सोशल जस्टिस, सोशल जूरी कल्चर रहा है सै, उसके तहत रोळे निबटते आये और वापिस "सर-जुड़ते-जोड़ते-जुड़वाते" आये; जोड़ लो वापिस| एक पंचायत का ऐसा इतिहास दिखा दो जिसने कभी समझौता ना भी हो पाया हो तो आपस में हथियार तनवा दिए तो दूर, अगर बोहें भी सिकोड़ने दी हों; मामला उनकी सुपुर्दगी में आने के बाद? बेशक इनकी तरह अनैतिक लूट मचाने हेतु नहीं जोड़ने, परन्तु "सरजोड़" तो तुम्हारे "एथिकल कैपिटलिज्म" के फलते-फूलते रहने के लिए भी जरूरी है|

जय यौद्धेय! - फूल मलिक

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